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कविता

आगे हरेली तिहार

आगे हरियर हरेली तिहार
उल्हा उल्हा पाना हरियाथे
राउत खोचय लीम डारा
डेराउठी मुहाटी म खोचाथे

राउतईन दाई ह सुग्हर हथना
माईकोठी कुरिया म बनाथे
सुपा-सुपा सेर चाउंर धान
सिधो सिधो ठाकुराइन देवाथे

गहुं पिसान के गोल-गोल
गाय गरुंवा बर लोंदी सानथे
कांदा कुसा अउ जड़ी बूटी
बरदिहा मन करले लानथे




अंडा पान के लगाके
पशुधन गरूंवा ल खवाथे
कभु बिमारी झन आवय
देवी देवता ल मनाथे

नांगर कोप्पर गैती रापा
हंसिया बसला सबो धोवाथे
रंग-रंगोली तुलसी चउंरा ल
चउंर पिसान के पुर पुराथे

ओईरसा अंगना के तिरे तिर
भांठा माटी मुरुम पटकाथे
आगे रें भैया हरेली तिहार
गोबर पानी म दुवार लिपाथे

चाउंर पिसान के गुरहा चिला
भोग लगाय बर बनाथे
फुल पान गुलाल बंदन
नरियर भेला परसाद चघाथे

बांस के मच मच गेंड़ी
लईका मन बर सम्हाराथे
अईसन हे हरियर हरेली
गांव गांव म तिहार मनाथे!!

मयारूक छत्तीसगढ़िया
सोनु नेताम माया
रूद्री नवागांव धमतरी