Categories
कविता

उठ जा बाबु आंखी खोल

उठ जा बाबु आंखी खोल
होगे बिहनिया हल्ला बोल
सूत उठ के बासी खा
थारी धर के इस्कूल जा
इस्कूल जा के पट्टी फॉर
अऊ पेन्सिल ला कस के घोर
मास्टर ला तैं गारी देबे
चाक चोराके खीसा भरबे
सरकारी पुस्तक ला तैं चीर
बांटी खेलबे बनबे बीर
पढ़े के बेर पेट पिराही
दांतों पिराही,मुडो पिराही
भात खा के दुक्की भाग
मनटोरा के चोराले साग
समारू घर के आमा टोर
देखिस टेकर आंखी फॉर
बरातू ब्यारा के राचर छोर
ढील दे गरुआ होगे भोर
दाई-ददा के मूड ला फॉर
डोकरा बबा के धोती छोर
डोकरी दी के चश्मा हेर
खई ले बर ओला घेर
इही बूता मा तरक्की करबे
बहुत बड़े तैं साहब बनबे
आघू आघू बढे चल
चेत लगा के पढ़े चल

आपके
गंवईहा संगवारी
ललित शर्मा
राष्‍ट्रीय महासचिव
अर्टिसन वेलफेयर ओआरजी. न्यू दिल्ली
अभनपुर के रहवैया
मोर ब्लॉग हे-
http://shilpkarkemukhse.blogspot.com
http://ekloharki.blogspot.com