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कविता

काबर सूना हावय कलाई

भैया तैं मां के सेवा
करथस दिन अउ रात
मन मा लुका रखे हंव मैं हा
कोनो भी हो बात
कछु भी नई कहस तैं हर
कतको हो आघात
खुष रइबे मां के सेवा में
चाहे कठिन होवय हालात
हम सबके रक्षा में भाइ्र्र
सुना हावय कलाई
अमन शांति होवय जग मा
झन होवय लडाई
भारत माता के छंइहा मा
काबर सुना हावय कलाइ्र्र
दुष्मन के घर घलो माता हावय
हावय बच्चा अउ बुढवा
बहिनी ला बस ये कहना हे
तैं हर हमर दुलरूवा
वो चल के गिरना तोर
हमन ला याद आथे
याद तो याद हावय
आथे अउ जाथे
राखि के दिन याद कर
तैं हर का किरिया खाय
तैं नइ आए भइया मोर
आ गे जुदाइ्र्र हाय
भैया तैं घर आबे ता
खाबो हमन मिठाइ्र्र
भारत माता के सेवा में काबर
तोर सुना हावय कलाई

कोमल यादव
मदनपुर, खरसिया