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कविता गीत

छत्तीसगढ़ महतारी

अंचरा म फूले हे गोंदा
माथा म चमकथे चंदा
बगरे चंदैनी हे लुगरा म तोर
तहीं हर छत्तीसगढ़ महतारी अस मोर
भारत मां के दुलौरिन बेटी तोर सीतल छांव
तोर सरन म परे हावैं सहर नगर गांव
कोनो आईन हाथ पसारे
सरबस ल दे डारे
बांधे सब संग तैं मया के डोर
तोर नांव ल सुनिन सबो परदेसिहा भाई
करम ल गंठिया के झांकिन तोर दुवारी ल दाई
कोनो ल नई दुतकारे सबके करम ल संवारे
कर देहे सबके मुंह ल अंजोर
मंझ म सहर जगर-मगर छें-छें म गांव
बगरे हे सुग्घर अगरैया के छांव
खैरखा संकलावत हावै कमिया हर आवत हावै
लानत हे किसानीन हर भाजी ल टोर
बरसै कतको पानी जरै कतको घाम
तोर तप नई छोड़ै तोर बेटा किसान
घर के नागर तुतारी बन गिस तोर पुजारी
हांसिस अन्नपून्ना कोरा म तोर
राजिम अऊ सवरीनारायन तोर तीरथधाम
कर दिन पावन तोला लछिमन अऊ राम
हसदो हे हाथ ल जोरे , सीस शिवनाथ नवाए
महानदी लेवत हे चरनामृत तोर
तहीं हर छत्तीसगढ़ महतारी अस मोर
‘श्रीमती दीप दुर्गवी`