Categories कविताछत्तीसगढी कुंडली : रंगू प्रसाद नामदेव Post author By admin Post date October 5, 2008 2 Comments on छत्तीसगढी कुंडली : रंगू प्रसाद नामदेव बासी खाना छूटगे, आदत परगे, चायपेट भरे ना पुरखातरे, ये कईसन बकवायये कईसन बकवाय, सबो दुख-सुख मा लागूदेंवता अतरे फूल, चाय तो पंहुचे आगूकह रंगू कविराय, सुनगा भाई घांसीसबला होना चाय, बिटामिन छोडे बासी ।रंगू प्रसाद नामदेव Tags Rangu Prasad Namdev ← जसगीत अउ छ्त्तीसगढ – दीपक शर्मा → कहिनी : डोकरा डोकरी : शिवशंकर शुक्ल 2 replies on “छत्तीसगढी कुंडली : रंगू प्रसाद नामदेव”बने कहेव संगी चाय होगे बकवाय!!आदत पड़ गए गे चाय ,छूटे नई छुटाय, चाय अइसन बकवाय।Comments are closed.
2 replies on “छत्तीसगढी कुंडली : रंगू प्रसाद नामदेव”
बने कहेव संगी चाय होगे बकवाय!!
आदत पड़ गए गे चाय ,छूटे नई छुटाय, चाय अइसन बकवाय।