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छत्तीसगढ़ी भाखा

भासा के लड़ाई कहां तक

आज देस के एक राय अपन भासा ल सबके मुड़ ऊपर लादे बर खड़े होगे हावय। मुड़ म जादा वजन लादे मा दू बात हो सकथे। एक तो जादा वजन ल मनखेच्च गिर जही। दूसर, वो ह बोझा ल पटक दिही। ऊंहा अइसने होने वाला है। सब बोझा ल, बने अउ गिनहा रासनपानी, गोबर कचरा, फूलपान, कचरा-काड़ी ल एक जगह सकेले जाये अउ मौसम के मार एक साल ले खाय के बाद ओखर रूप ल देखे जाय त फेकइया मनखे घलो नई सोच सकय के ये ह काय बनगे हावय। ये ह सुग्घर सोनहा खाद बन जथे। ये खाद हमर खेत ले सोन बरसाथे। आज हमर छत्तीसगढ़ राज अइसने सोना खाद बनगे हावय जेन ह बड़े-बड़े वैज्ञानिक, सिक्छाविद्, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, सिपाही अउ मजदूर पैदा करत हावय। जेखर खूसबू बिस्व म हावय। इहां के मजदूर के मांग कलकत्ता अऊ दिल्ली म बहुत हावय। इहां के इंजीनियर, डॉक्टर विदेश म बसे हावय। छत्तीसगढ़ आज नहीं सैकड़ों साल ले सबके बोझा ल अपन छाती म रखे हावय ओला जीवन देवत हावय। आज छत्तीसगढ़ी भासा घलो अपन भासा म सबके सब्द ल समेट लीस।
दक्छिन भारत म भासा के लड़ई चलिस, ओमन हिन्दी ल स्वीकार नई करत रहिन हे। दूरदर्सन म हिन्दी कार्यकरम अइस तब उहां ये कार्यकरम ल देखे बर सरकार मना करीस फेर घर म दूरदर्सन देखे बर तो कोनो बंद नई कर सकीन अउ रमायन धारावाहिक के माध्यम ले हिन्दी सब सीखगे। आज भारत के मध्य म एक राय अपन भासा के दबाव डाल के कोन मेर जाही? जाही का उही मेर पीसा जाही।
सरकार के समानांतर एक अउ सरकार बनाए के कोसिस जेन मनखे करत हावय तेखर उमर जादा नइए ‘जेन जादा उचकथे तेन गिरथे’ ‘जेन जादा फूलथे तेन ह फूटथे’ ‘पाप के उमर जादा नई होवय’ ये ह मनखे ऊपर मानसिक अत्याचार आय।
जब सब भासा सब राज, एक होवत हावय। एक जाति धर्म के बात खतम होवत हावय। हमर बेटी दूसर समाज दूसर धर्म के बहू बनत हावय। आज एक जाति अउ धर्म होगे हावय रोजगार। डॉक्टर, डॉक्टर, मजदूर-मजदूर, इंजीनियर-इंजीनियर के बिहाव होवत हावय। इही ह जात आय। आज दो भासा, दो धर्म मिलके चार भासा अउ चार धर्म बनत हावय। तव एक भासा अउ एक राज के बात करना अपन देस, समाज ल हजारों साल पीछू लेगना आय। दूरदर्सन म देखे एक घटना के मोला सुरता आत हावय, जगह के नाव सुरता नइए फेर उत्तर भारत के बात आय। सेना वाले मन एक अइसना पवित्र स्थान बनाए हावय जिहां गुरुद्वारा मस्जिद, चर्च अऊ मंदिर क्रम से हावय। सब पूरा परिवार सुबह शाम सब इही क्रम म जाथें। गुरुद्वारा म 10 मिनट बइठ के गुरुबानी सुन के परसाद ले के पुरुष मन मस्जिद जाथे, ऊहां 5 मिनट नमाज पढ़थे। ओखर बाद पूरा परिवार चर्च जाके सिर झुकाथे, ओखर बाद सब मंदिर जाथें। मंदिर म ओम जय जगदीश हरे आरती होथे अउ सब परसाद लेके बाहिर निकलथें। एक मुसलमान, एक सिक्ख अउ एक इसाई परसाद बांटे के काम करथे। राष्ट्रीय प्रसारण म ये घटना देखे के बाद (25 जनवरी) म अइसना राज पर घृणा ले भर उठिस जिहां एक मनखे सबके जीना दूभर कर दे। ऐखर बर पूरा राष्ट्र ल उठ खड़े होना चाही। पहिली हमन इंसान अन बाद म कुछु अउ। सिरिफ पहिरावा अउ संगीत ल नहीं विचार, भासा अउ परेम ल अपनाना वैश्विकरण आय।
सुधा वर्मा