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कविता

भूख (कबिता) : डॉ. राजेन्‍द्र सोनी


बुधारू
कठल कठल के रोथे
मनटोरा ओखर
चूमा लेथे
चूमा ह रोटी नोहे
मनटोरा हा सोंचथे
मय
बुधारू खातिर
रोटी बन जातेंव ।

डॉ.राजेन्‍द्र सोनी

चित्र http://feedingavillage.org से साभार