Categories
कविता

सबले बड़े पीर

फोरा परे जे हाथ मे मिटगे हे लकीर
पीरा के संसार में सबले बड़े पीर।
सबले बड़े पीर लिख्रय देश के तकदीर।
पीरा के संसार में …

माथा ले चुचुवाय कतको कारी पछीना
मिहनत संग जीना इंखर मिहनत हे मरना।
बिपत संग खेले ये मन तक-धीन, धी-धीना,
सीखे हे शंकर कस, करू-कासा ल पीना।
पसिया ल पी खुद, खवाए दूसर ल खीर॥
पीरा के संसार में …

बड़े-बड़े बांध, महल, राज अउ राजधानी,
मिहमत के देवता के बरनत हे कहानी।
जोंते जांगर, कमाए, खेती अऊ किसानी,
बहती धारा ल मोड़े, पथरा ल करे पानी।
काट सके नई तभो ले, गरीबी के जंजीर॥
पीरा के संसार …

लोहा ल पिघला दय, इंखर जांगर मा वो दम हे
दुनिया ल हिला दे। ताकत हे यहु का कम हे।
कर्म में निरत हे, चाहे सम ए या बिसम हे,
जान ल लड़ा दय, कहुॅ आय कभू जम हे।
जे मन हावय अधनंगरा भूक्खड़-फकीर॥
पीरा के संसार मे…

सूरज ले ये मन है कबिया के लाने,
मुठियाए हाथ ल उबा के ताने।
समुंदर ल राहन दे कटकट ले नुनछूर,
मिहनत के रोटी ल पछीना संग साने।
भागीरथ कस, श्रर्मी आवय मर्मी अय कबीर
पीरा के संसार मे…

आत्माराम कोश ”आमात्य”
पुरानी मंडी चौक
राजनांदगांव