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कविता

बसंत आगे रे संगवारी

घाम म ह जनावत हे
पुरवाही पवन सुरूर-सुरूर बहत हे
अमराई ह सुघ्घर मह महावत हे
बिहिनिहा के बेरा म चिराई-चुरगुन मन मुचमुचावत हे
बर-पीपर घलो खिलखिलावत हे
महुआ, अउ टेसू म गुमान आगे
बसंत आगे रे संगवारी
कोयली ह कुहकत हे
संरसों ह घलो महकत हे
सुरूर-सुरूर पवन पुरवाही भरत हे
मोर अंगना म संगवारी बसंत आगे
जेती देखव तेति हरिहर लागे
खेत-खार के रुख-राई मन भरमाथे
फागुन बन के आगे पहुना
अंगना म हे उछल मंगल
मड़वा सज के संगवारी के
बसंत आगे अंगना म
रंग-गुलाल खेबोन
बसंत आगे रे संगवारी
अपन राग रंग लेके
कुलकत हे मन सुरता करके
सुघ्घर बसंत आगे

लक्ष्मी नारायण लहरे “साहिल”
डॉ आंबेडकर चौक कोसीर
सारंगढ जिला रायगढ़
छत्तीसगढ़
09752319395