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कविता

बेरोजगारी के पीरा

का बतावंव संगी मोर पीरा ल,नींद चैन नइ आवत हे।
सुत उठ के बड़े बिहनियाँ,एके चिंता सतावत हे।

नउंकरी नइ मिलत हे,अउ बेरोजगारी ह जनावत हे।
दाई ददा ह खेती किसानी करके,मोला पढ़हावत हे।

फेर उही किसानी करे बर,अब्बड़ मोला सरम आवत हे।
पर के नउंकरी करे बर,मन ह मोर अकुलावत हे।

अँगूठा छाप मन कुली कबाड़ी करके,पंदरा हजार कमावत हे।
फेर मँय इस्नातक पास ल,पाँच हजार में घलो कोनो नइ बलावत हे।

पढ़त-पढ़त सोचंव कलेक्टर बनहूँ,अब चपरासी बनना मुस्किल पड़त हे।
नानकिन चपरासी बर,पी.एच.डी वाले मन फारम भरत हे।

देस म आतंकवाद ले बड़े समसिया,बेरोजगारी ह लागत हे।
एकरे सेती दुनिया भर म,अपराध घलो ह बाढ़त हे।

नउंकरी तो बहुत हे,फेर सरकारी अगोरा हे।
सरकार ह भरती तभे करथे,जब चुनाव के बेरा हे।

फारम भरत-भरत उमर घलो पहागे।
चुन्दी ह पाक गे अउ दिमाग ह कंझागे।

सबो झन ताना मारथे,काम बूता कुछू करय नही।
फेर अतका पढ़-लिख के मजदूरी करइ जमय नही।

सरकारी नउंकरी पाना,मुस्किल भारी होगे।
लागथे अब पढ़हई-लिखई घलो गारी होगे।

एक पद बर हज़ार झन फारम भरत हे।
एके झन के लगत हे अउ सरकार के झोली भरत हे।

हर साल कतको पढ़ के निकलत हे।
तहान गली-गली बइहा,बरोबर गिंजरत हे।

सबो झन नउंकरी बर,येती-तेती भागत हे।
एकरे सेती संगी देस म,बेरोजगारी ह बाढ़हत हे।।

चंदन वर्मा
करमा (भैंसा), खरोरा
जिला – रायपुर (छ. ग.)
मो. 8120274719

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