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कविता

सरसती वंदना

वीणा बजईया सरसती मंईयाँ..2
मोला तार लेना ओ…
तोरे चरण मं आऐ हंव दाई
मोला गियान देना ओ…2

कोंदा लेड़गा तोर चरण मं आके,
सुर मं सुर मिलाये ओ
गईया बछरू तोर मयां ला पाके,
मंईयाँ-मंईयाँ रम्भाऐ ओ
:-गीयान देवईया सरसती मंईयाँ..2
मोला उबार लेना ओ…
तोरे चरण मं आऐ हंव दाई
गियान देना ओ…2

चिरई-चिरगुण सातो सुर ला पाके,
मंईयाँ-मंईयाँ गोहराऐ ओ
सुआ पंड़की कोईली परेवना,
महिमा ला तोर बखाने ओ
:-बुद्धि देवईया वीणा बजईया..2
मोला तार लेना ओ…
तोरे चरण मं आऐ हंव दाई,
मोला गियान देना ओ…2

बड़े-बड़े गियानी धियानी ला,
दाई तँय हर तारे ओ
गोकुल ला देदे गियान ओ दाई,
चरण शरण गोहराऐ ओ
:-चरण मं मांथ नवाये हंव मंईयाँ..2
मोला तार लेना ओ…
तोरे चरण मं आऐ हंव दाई
मोला गियान देना ओ…2

गोकुल राम साहू
धुरसा-राजिम(घटारानी)
जिला-गरियाबंद(छत्तीसगढ़)
मों.9009047156