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किताब कोठी गीत

बिन बरसे झन जाबे बादर

हमर देस के सान तिरंगा, आगे संगी बरखा रानी, बिन बरसे झन जाबे बादर, जेठ महीना म, गीत खुसी के गाबे पंछी, मोर पतंग, झरना गाए गीत, जम्मो संग करौ मितानी, खोरवा बेंदरा, रहिगे ओकर कहानी, बुढवा हाथी, चलो बनाबो, एक चिरई, बडे़ बिहिनिया, कुकरा बोलिस, उजियारी के गीत, सुरुज नवा, इन्द्रधनुस, नवा सुरुज हर आगे, अनुसासन में रहना..

हमर देस के सान तिरंगा
फहर-फहर फहरावन हम ।
एकर मान-सनमान करे बर
महिमा मिल-जुल गावन हम।

देस के खातिर वीर शहीद मन
अपन कटाए हें

तन, मन, धन ल अरपित करके
लहू अपन बोहाए हें।

अपन बिरान के भेद करन झन
सब ला गला लगावन हम।
हमर देस के सान तिरंगा
फहर-फहर फहरावन हम।
सुम्मत मा सब के बन जाथे
बिम्मत मा अधियाथे जी

आपस मा जब लड़थन-मरथन
दूसर लाभ कमाथे जी।

बोली -भाखा, जात के
झगरा सबो मिटावन हम।
हमर देस के सान तिरंगा
फहर-फहर फहरावन हम।