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प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – खानपान

शाकाहार व्यंजन – दार, भात, रोटी, साग, बरा, भजिया, बोबरा, अँईरसा, फरा, सौंहारी, ठेठरी, खुरमी, पेठा, रसाउर, खस्तोरी, धुसका, हथफोड्वा, पपची, देहदौरी, करी, चौसेला, चिलबोबरा, पीठा, तसमही, तिलगुजिया, बफौरी, नूनफरा, भजिया, रोट, घुचकुलिया, बासी, चटनी, अंगाकर रोटी, चिला, कोहरी, फरा, दुधफरा, मुठिया, अट्टरसा, कोढा रोटी, गुझा, कढी, पेंऊस, खुजरी, खीर, सेवड, बघारे भात, खिचरी, फरहार-कतरा, घीव, लाडू- बूँदी, करी, मुर्रा, लाई, मोतीचूर, तिली, मगज, चिरोंजी, छेवारी लाडू, बेसन । मोदक, साबूदाना, पापड, सेतवा, गुरभजिया /गुलगुला भजिया, मिरचा भजिया, लिमउ अथान, आमा अथान, मिरचा अथान, करउंदा अथान, अंवरा / जिमिकांदा अथान, नूनचरा, रखिया / मूंग / कोंहडा बरी, आमा खोइला, अमली लाटा, पोपची, खाजा, बतासा, रखिया पाग, पताल के झोझो, रसा, सुरवा, दही-मही, महेरी, चिला।

फलाहार– छीता, अरमपपई, आमा, दरमी, बोइर, हर्रा, बहेरा, अँवरा, करोंदा, चार, तेंदू, मउहा, कोआ, रामकांदा, डांगकांदा, लालकांदा, ढूलेना कांदा, कुकरीकांदा, केरा, चिरइजाम, रायजाम, बिही, बेल, अमली, गंगाअमली, केकडी, खीरा, बोंगला, कलिंदर, फूट,  खोखमा, सकरकंद, रमकेलियाकांदा, कोचईकांदा, हरदीकांदा, बरेछाकांदा, रतालूकांदा, सेमरकांदा, जेठउराकांदा, परसाकांदा, कचांदीकांदा, भैरीकांदा, मुरई, आलू, आदा, मूसरकंद।

चटनी – विभिन्न शाक-सब्जियों से चटनी बनाई जाती है यथा – पताल के चटनी, कदम, कुरमा, करेला, लसून, आदा, मेथी, हेडहा, मिरचा, कैथे, पुदिना, करिल, भांटा, गोंदली, आमा, बिहि, आंवरा, करोंदा, धनिया, आलू, लिमउ के चटनी ।

पेय – गोरस / दूद (दूध), दही, मही, सरबत, लिमउ पानी, चहा, रसा, पदीना सरबत, काढा, कांकेपानी ।

नशीले पदार्थ – भांगघोटा, मद / दारू (शराब)- मउहा रस, देसी, ठर्रा, अँगरेजी, चिलम / गांजा, बीडी, सिजर, हुक्का, माखुर-चोंगी, अफीम (हफीम)।

साग-सब्जी यथा – गोंदली, पताल, भाजी, रमकेलिया, फुटू, चुटचुटिया, बोदी, मुनगा, डोंडका, तरोई, कोचई, डांगकांदा, बरी, अथान, ढेंसकांदा, मुरई, नवलगोल, बांस करील, खेकसी, राहेर, तिउरा, लाखडी, चना, केरा, जिलो, मुंगेसर, परवर, आलू, कटहर, आदि।

हरी पत्तियों वाली सब्जियाँ जैसे – लाल भाजी, मुनगा भाजी, करमत्ता, कुसुम, अमारी, पटुवा, बोहार, बर्रे /कुसुम, पीपर, पोंई, खोटनी, मुरई, खेडहा /जरी, चरोटा, नूनिया, तिनपनिया, तिवरा, बागचारा, बंधी, सरसों, चनाभाजी, चनउरी, पालक, मेथी, चुनचुनिया, लेवना, चांटीभाजी, कोचईपाना, मखना, गोंदली भाजी, कांदाभाजी, चौलाई, हँसिया डाफर, कोइलार, भथुवा, बुंदेला, केना, सेमी, सिलयारी, मुसवाकान, रोपा, मसरी, कोसम, फांक, कनकीभाजी, फुटू, /पिहरी आलू पुदरू, पैरा पुटू , कछर भाजी, तुमाभाजी, ढेईभाजी, गुमी
भाजी, आदि।

अनाज – चाँउर, गहूँ, चना, अँकरी, तिउरा, राहेर, जिलो, मूंग, बटरा, बटरी, उरिद, कोदो, कुटकी, जोंधरी, जंवार, बाजरा।

मसाले – तिली, सरसों, हरदी, मिरचा, नून, धनिया, मेथी, लसून, जिरा, अंजवइन, अरसी, मरीच, पादेनून, करायत।

मांसाहार – विभिन्न जीवों का भक्षण किया जाता है यथा –

पशु – बोकरा, सुरा, भठईला, हरीन, बघवा।
पक्षी – कुकरी, चिरई, घाघर, तितुर, परेवा, पंडकी, हरील, कौंआ, कोंकडा, मंजूर।
जलचर– मछरी, भुण्डा, खोकसी, टेंगना, केंवई, मोंगरी, मोंगरा, रोहू, कतला, पढिना, सलांगी, बांबी, बांबर, कोतरी, रूदबा, चिंगरी, तेलपिया, डुडूम, केछवा, मेचका, सुकसी, घोंघी, केकरा।
अन्य – अण्डा, माटा, मटाना।

प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – संस्कार

प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – कपड़े, आभूषण

शोधार्थी – राजेन्‍द्र कुमार काले, रायपुर. निदेशक – चित्‍तरंजन कर

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