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कविता

वंदे मातरम

देश हमर हे सबले प्यारा, एकर मान बढ़ाना हे।
भेदभाव ला छोड़ो संगी, सबला आघू आना हे।।

आजादी ला पाये खातिर, कतको जान गँवाये हे।
देश भक्त मन आघू आइस, तब आजादी आये हे।।

नइ झुकन देन हमर तिरंगा, लहर लहर लहराना हे।
भारत माँ के रक्षा खातिर, सीमा मा अब जाना हे।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़
8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com