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कविता

दाई ददा भगवान हे

दाई ददा के मया दुलार म मनखे होथे बडका धनवान जी
झन छोडव दाई ददा ल् जागत तीरथ बरथ भगवान जी

जन्म देवइया दाई के करजा जिनगी भर नई छुटाए
दाई के मया अमरित बरोबर दूध के संग म पियाये
नवा रस्ता गढ़हईया हमर जिनगी रूप शील गुणवान जी
दाई ददा के मया दुलार म मनखे होथे बडका धनवान जी

उबड़ खाबड़ रस्ता जिनगी के ददा ह ओला चतवारे हे
बाधा पिरा आईस जब जिंदगी ल् सुग्घर रखवारे हे
पर उपकारी ददा के जिनगी धर्मात्मा युधिस्ठिर समान जी
झन छोडव दाई ददा ल् जागत तीरथ बरथ भगवान जी

दाई के अचरा के छइहा म जम्मो देवी देवता के गांव हे
सरग के दुवारी खुलही दाई के तीर निसेनी इखर पाव है
दाई के करव निसदिन सेवा इही म राम बनगे भगवान जी
झन छोडव दाई ददा ल् जागत तीरथ बरथ भगवान जी

ददा के सपना झन टोर मन म जबर दिन ले संजोए हे
जिनगी ल उजियारी करे बर तन ल् पसीना म भिजोये हे
निसदिन मया लूटईया ददा के हर रोज करव सम्मान जी
झन छोडव दाई ददा ल् जागत तीरथ बरथ भगवान जी

दीपक कुमार साहू
मोहदी मगरलोड
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