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कविता

गांव के सीतला

मोर गांव के सीतला दाई
तोर गुन ल गावयं वो
तरिया पार म तैंय बिराजे
बईगा तोला मनावयं वो

अंगना म तोर लाली ध्वजा
लहर लहर लहरावयं वो
हरियर हरियर बोवाय जंवारा
शोभा बरनि न जावय वो

श्राद्धा अउ बिस्वास के पुजा
मन के मनौति पावयं वो
बिनती हमार सुनले दाई
सेवा जस तोर गावयं वो

फुल पान अउ नरियर केला
तोला सब चढ़ावयं वो
मोर गांव के सीतला दाई
लाली चुनरी ओढ़हावय वो

जगमग जगमग दीया बरत हे
मईया तोरे भुवन म वो
हाथ जोड़ पैईया पखारयं
दाई तोरे चरन म वो!!

मयारुक छत्तीसगढ़िया
सोनु नेताम माया
रुद्री नवागांव “धमतरी”
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