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कविता

घर के फुलवारी

आनी बानी के फूल सजा के
लिखथें मया पिरीत के परचा
घर अंगना म फूले फुलवारी
आओ कर लेथन एकर चरचा!

छत्तीसगढ़ के ये आय चिन्हारी
लाली पिंवरी चंदैनी गोंदा
सादा सुहागा फूल दसमत ले
सुघराये गजब घर घरोंदा!

मुच मुच मुसकाये रिगबिग चिरैया
मन लुभाये झुंझकुर गोप्फा पचरंगा
लाली लाली लहराय मंदार
पाठ पूजा बर होथे बड़ महंगा!

हवा म मारे मंतर मोंगरा
अपने अपन मन खिंचत जाय
दिन भर के लरघाय जांगर
रातरानी ले बिकट हरियाय!

महर महर ममहाय दवना
गोरी के बेनी म झुल झुल जाय
देख मयारू के मन माते मतौना
चारो खुंट मया के रंग बगराय!

ललित नागेश
बहेराभांठा (छुरा)
गरियाबंद(छ.ग.)
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