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कविता

हरेली तिहार आवत हे

हरियर-हरियर खेत खार,
सुग्घर अब लहरावत हे।
किसान के मन मा खुशी छागे,
अब हरेली तिहार आवत हे।।

खेत खार हा झुमत गावत,
सुग्घर पुरवाही चलावत हे।
छलकत हावे तरीया डबरी,
नदिया नरवा कलकलावत हे।।

रंग बिरंग के फूल फुलवारी,
अब सुग्घर डुहूँरु सजावत हे।
कोइली पँड़की सुवा परेवना,
प्रेम संदेशा सुनावत हे।।

नर-नारी अउ जम्मो किसान,
किसानी के औजार ला धोवत हे।
किसानी के काम पुरा होगे,
अब चिला चघाय बर जोहत हे।।

लइका मन भारी उत्साह,
बाँस के गेड़ी बनवावत हे।
चउँर के चिला सुग्घर खाबो,
अब हरेली तिहार आवत हे।।

गोकुल राम साहू
धुरसा-राजिम (घटारानी)
जिला-गरियाबंद (छत्तीसगढ़)
मों.9009047156