रायपुर 21 सितंबर 2024। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने राहुल गांधी द्वारा अपनी हालिया अमेरिकी यात्रा के दौरान यह कहे जाने पर कि वह (राहुल/कांग्रेस) “आरक्षण हटा देंगे” पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि यह वही धुन है जो राहुल गांधी का परिवार नेहरू के जमाने से गाता आ रहा है। श्री किशोर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 57 वर्षों तक देश पर शासन किया, लेकिन इस दौरान उसने अपने राजनीतिक उद्देश्यों को साधने के लिए संवैधानिक प्रक्रियाओं का जमकर दुरुपयोग किया और सामाजिक उद्देश्यों की उपेक्षा की। कांग्रेस ने कभी भी संविधान के मूलभूत आरक्षण सिद्धांतों को सही भावना और रूप में लागू करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाई।
पूर्व केंद्रीय मंत्री किशोर ने शनिवार को एकात्म परिसर स्थित भाजपा कार्यालय में आहूत पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के आरक्षण, संविधान और डॉ. अम्बेडकर विरोधी इतिहास की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने सन् 1956 में पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की काका कालेलकर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। नेहरू ने ही सन् 1961 में मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा कि आरक्षण से अक्षमता और दोयम दर्जे का मानक पैदा होता है। इस प्रकार नेहरू ने डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक व राजनैतिक जीवन को समाप्त करने का षड्यंत्र किया। 1952 में लोकसभा चुनाव और 1954 में लोकसभा उपचुनाव में डॉ अम्बेडकर को हराने का पाप किया। श्री किशोर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में सन् 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर संविधान की आत्मा को कुचला था। इंदिरा गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालकर ओबीसी आरक्षण में देरी की। 1966 से 1977 तक, संविधान में 25 बार संशोधन हुए। 42वें संशोधन में 41 अनुच्छेदों में संशोधन किए गए और 11 नए अनुच्छेद जोड़े गए। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 3 मार्च 1985 को एससी आरक्षण पर टिप्पणी करते हुए यह कहा था कि आरक्षण के माध्यम से हमें ‘बुद्धुओं’ को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। राजीव गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट का विरोध किया और 1990 में लोकसभा में आरक्षण का पुरजोर विरोध किया और मुसलमानों को आरक्षण देने की वकालत की, जो बाबासाहेब के मूल संविधान के खिलाफ था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री किशोर ने कहा कि लेकिन धारा 370 और 35 अ को समाप्त कर जम्मू कश्मीर के अनुसूचित जाति वर्ग को 70 वर्ष बाद सामाजिक न्याय व सम्मान देने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। सन् 2014 के बाद श्री मोदी के कार्यकाल में संविधान में केवल आठ बार संशोधन हुआ और वह भी यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया था। इन संशोधनों के जरिए 2017 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्जा दिया गया। 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण की शुरुआत की गई। 2019 में वित्त आयोग और संविधान की छठी अनुसूची से संबंधित प्रावधानों में संशोधन किया गया। 2019 में लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के आरक्षण में 10 वर्षों के लिए विस्तार किया गया। 2021 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी ओबीसी सूची में परिवर्तन करने का अधिकार प्रदान किया गया। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘कल्याण मंत्रालय’ को ‘सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय’ के रूप में बदला। अटलजी ने कहा कि एक असमान समाज में जहां अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग अभी भी ऐतिहासिक अक्षमताओं से पीड़ित हैं, वे जो चाहते हैं वह सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण है, न कि केवल कल्याण। मंत्रालय का नाम बदलने का हमारा निर्णय कल्याण की अवधारणा की तुलना में समानता और सामाजिक-आर्थिक मुक्ति के मूल्यों के प्रति एक मजबूत प्रतिबद्वता द्वारा निर्देशित है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री किशोर ने कहा कि डॉ. अंबेडकर और संविधान सभा ने संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण को मान्यता नहीं दी थी, फिर भी ओबीसी कोटा से आंध्र प्रदेश में 4 प्रतिशत, केरल में 8 प्रतिशत और तमिलनाडु में 3.5 प्रतिशत आरक्षण मुस्लिम समुदाय को देकर संविधान का उल्लंघन किया। जामिया मिलिया (2011) और एएमयू (1981) जैसे सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों को अल्पसंख्यक संस्थानों के रूप में वर्गीकृत किया गया, और अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ों को आरक्षण देने से इनकार कर दिया गया। इसी प्रकार 93वें संवैधानिक संशोधन (2005) के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों को आरक्षण प्रदान करने से छूट दी गई। इस एक कदम से सैकड़ों संस्थानों से पिछड़े समुदायों के अधिकार छीन लिए गए। कांग्रेस के लोग याद रखें कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा है, “मेरे रहते संविधान और आरक्षण को खरोंच भी नहीं आएगी।” संविधान को लेकर लगातार फैलाए गए झूठ का पर्दाफाश करते हुए श्री किशोर ने कहा कि देश 1947 में आजाद हुआ, 57 वर्ष केंद्र में कांग्रेस सरकार रहते हुए संविधान दिवस नहीं बनाया गया। “भारतीय संविधान हमारे लिए राष्ट्रीय ग्रंथ है” इस भावना के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 से शासकीय स्तर पर संविधान दिवस मनाना चालू किया। उसके बाद प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 2015 में संसद के दोनों सदनों में संविधान पर चर्चा कराने का निर्णय किया, जिसका कांग्रेस ने विरोध किया। सन् 2010 में, जब संविधान के 60 वर्ष पूरे हुए, तो गुजरात में अपने कार्यकाल के दौरान, तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोदी ने संविधान गौरव यात्रा आयोजित की। इस यात्रा में संविधान की प्रति को हाथी के मस्तक पर रखकर पूरे शहर में शोभायात्रा निकालकर संविधान को सम्मानित किया गया। कांग्रेस ने संविधान को अपनाने के बाद 90 मौकों पर निर्वाचित सरकारों को बर्खास्त करने के लिए अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग किया, जिससे संविधान का मजाक उड़ाया गया। श्री मोदी कहते हैं कि “कांग्रेस के लिए संविधान राजनीतिक साधन हो सकता है, लेकिन हमारे लिए संविधान श्रद्धा और आस्था का केंद्र है।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री किशोर ने कांग्रेस द्वारा डॉ. अंबेडकर के लगातार किए गए अपमान की चर्चा करते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपनी सरकारों में कभी भी बाबासाहेब का तैलचित्र संसद में नहीं लगने दिया और न ही उन्हें कभी भारत रत्न देने का विचार किया। लेकिन, बाबासाहेब के जीवन से जुड़े सभी ऐतिहासिक स्थलों को केवल भूमि व स्थल न मानकर अपितु उनको तीर्थस्थल का सम्मान प्रधानमंत्री श्री मोदी की सरकार ने दिया। बाबासाहेब के जीवन से जुड़े पाँच महत्वपूर्ण स्थानों को भाजपा सरकारों ने विकसित किया। पंचतीर्थ में महू में डॉक्टर अंबेडकर की जन्मभूमि, लंदन में शिक्षा भूमि, नागपुर में दीक्षाभूमि, दिल्ली का महापरिनिर्वाण स्थल और मुंबई में चैन शामिल है। पूर्व प्रधानमंत्री अटलजी एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के प्रयास से ही 1990 में बाबासाहब डॉ अंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। अनुसूचित जाति पर अध्ययन, अनुसन्धान, विश्लेषण और नीति निर्माण करने के लिए डॉ अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र की स्थापना प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 2017 में की। इसी प्रकार श्री मोदी के कार्यकाल में डॉ भीमराव अम्बेडकर को स्मरण करते हुए भीम ऐप का शुभारंभ किया गया, जिससे निम्न, मध्यम वर्ग के व्यापारियों, किसानों, गरीबों को ताक़त प्रदान की गयी। श्री किशोर ने कहा कि कांग्रेस ने 57 वर्षों तक देश पर शासन किया है लेकिन नागरिकों को बिजली, पानी, बैंक खाते, शौचालय, घर आदि जैसी बुनियादी जरूरतों की सुविधाएँ प्रदान नहीं की गईं। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले 10 वर्षों में बाबासाहेब के सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र के दृष्टिकोण को पूरा करने का प्रयास किया है।
पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदेश के खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल ,भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नवीन मार्कण्डेय, पूर्व सांसद कमला देवी पाटले, भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी और अनुसूचित जाति मोर्चा के रायपुर अध्यक्ष बसंत बाघ भी उपस्थित थे।