तिरूपति लड्डू कैसे बनाये जाते हैं? 300 साल में 6 बार बदली रेसिपी, साल में 500 करोड़ की कमाई!

तिरूपति लड्डू कैसे बनाये जाते हैं? 300 साल में 6 बार बदली रेसिपी, साल में 500 करोड़ की कमाई!

-खास बात यह है कि ये प्रसाद की कलछी मंदिर की रसोई में ही तैयार की जाती है…

तिरूपति। Tirupati Balaji Mandir Laddu Controversy: आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध तिरूपति बालाजी के प्रसाद पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि पिछली जगनमोहन रेड्डी सरकार के दौरान महाप्रसादम बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में गाय और सुअर की चर्बी की मिलावट की गई थी।

टीडीपी ने वाईएसआर कांग्रेस पर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है। एक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि लड्डू बनाने में इस्तेमाल किया जाने वाला घी शुद्ध नहीं था, इसमें गाय की चर्बी की मिलावट की गई थी। महत्वपूर्ण बात यह है कि ये प्रसाद के करछुल मंदिर की रसोई में ही तैयार किए जाते हैं और इन्हें पोट्टू कहा जाता है।

ऐसे बनाये जाते हैं तिरूपति लड्डू –

महाप्रसाद की इस कलछी को बनाने की प्रक्रिया को ‘दित्तम’ कहा जाता है। हर चीज़ को एक निश्चित अनुपात में रखा जाता है। अपने 300 साल के इतिहास में इन लड्डुओं (Tirupati Balaji Mandir Laddu Controversy) की रेसिपी केवल छह बार बदली गई है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, इस लड्डू से एक विशिष्ट दिव्य सुगंध आती है। सबसे पहले बूंदी बेसन से बनाई जाती है। कलछी को खराब होने से बचाने के लिए गुड़ के पेस्ट का प्रयोग किया जाता है। इसके बाद इसमें आंवला, काजू और किशमिश डालें जाते है। बूंदी बनाने में घी का प्रयोग किया जाता है।

रोज बनते हैं तीन लाख लड्डू –

एक रिपोर्ट के मुताबिक टीटीडी रोजाना करीब 3 लाख लड्डुओं का उत्पादन करता है। इन बाबुओं से बोर्ड को साल में करीब 500 करोड़ रुपए मिलते हैं। कहा जाता है कि मंदिर में प्रसाद के लिए करछुल 1715 से ही तैयार की जाती रही है। 2014 में तिरूपति लड्डू (Tirupati Balaji Mandir Laddu Controversy) को जीआई टैग मिला। इसके चलते अब कोई भी इस नाम से लड्डू नहीं बेच सकेगा। ये लड्डू चीनी, मेवे और किशमिश से भरपूर हैं। एक लड्डू का वजन आमतौर पर लगभग 175 ग्राम होता है।

लैब रिपोर्ट क्या है? –

जुलाई में एक प्रयोगशाला परीक्षण के दौरान जब वाईएसआरसीपी सत्ता में थी, तब प्रसिद्ध तिरूपति मंदिर में प्रसाद की कलछी बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में पशु वसा पाई गई थी। घी में मछली का तेल, गोमांस की चर्बी और चर्बी के अंश पाए गए। इसके अलावा, चरबी एक अर्ध-ठोस सफेद वसा उत्पाद है, जो सूअरों के वसायुक्त ऊतकों से प्राप्त होता है।

लड्डू के स्वाद को लेकर शिकायत के बाद 23 जुलाई को जांच की गई। इसमें नारियल, कपास और सरसों का तेल भी पाया गया। जून में टीडीपी सरकार ने एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को टीटीडी का कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया था।

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