Categories
कविता

मदरस कस मीठ मोर गांव के बोली

संगी – जहुरिया रहिथे मोर गांव म
हरियर – हरियर खेती खार गांव म
उज्जर – उज्जर इहां के मनखे ,मन के आरुग रहिथें गांव म
खोल खार हे सुघ्घर संगी
बर ,पीपर के छांव हे संगी
तरिया – नरवा अऊ कुंआ बारी
गांव के हावे ग चिन्हारी
किसिम – किसिम के इहां हावे मनखे
सुख – दुख के इहां हावे साथी
गांव म दिखथे ग मया – दुलार
दाई – ददा के चोहना बबा के डुलार
तुलसी के चौरा म
मंदिर के दुवार म
दुख पीरा गोहराथन
छोटे बड़े के हावे ग पहचान गांव म
चन्दन बरोबर मोर गांव के धूल
मदरस कस मीठ मोर गांव के बोली
कइसे बताववं का गोठियाववं ग
मोर चिन्हारी मोर गांव के नाम ले हे ग
मदरस कस मीठ मोर गांव के बोली ग

लक्ष्मी नारायण लहरे ” साहिल ”
कोसीर सारंगढ़

2 replies on “मदरस कस मीठ मोर गांव के बोली”

बहुत बढ़िया साहिल जी

Comments are closed.