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कविता

मोर भारत देश के माटी

चंदन के समान हे,
जेकर पावन कोरा मे जनमे
देवता कस बेटा किसान हे,
इही माटी मे जनम धरेंव
ये बात के मोला अभीमान हे।

कोनो हिन्दु हे कोनो मुस्लिम,
कोनो सिख ईसाई हे,
मया पिरीत के डोरी बंधाहे,
जम्मो झन ह भाई ये,
रमायन, गीता, बाईबल कोनो मेर,
कहुँ गुरू ग्रंथ अऊ कुरान हे,
इही माटी मे जनम धरेंव
ये बात के मोला अभीमान हे।

हर मनखे के नस नस मे,
जिहा दया मया ह बोहाथे,
जिंहा कोयली बरोबर किसम किसम के,
बोली भाखा सुहाथे,
जिहा बखत परे मे बीर जवान,
माटी बर देथे परान हे,
इही माटी मे जनम धरेंव
ये बात के मोला अभीमान हे।

धर्मेंन्द्र डहरवाल
ग्राम सोहागपुर जिला बेमेतरा
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