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कविता

अवइया मुख्यमनतरी कइसन हो ?

घात जियानथे जऊन ला, गरीब अऊ अनाथ के पीरा,
जऊन नेता के अंतस निये, जइसे तिनफंकिया खीरा।
जेला गजब सुहाथे, छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़िया हीरा ,
जऊन नी बजावय, हमर पेट ला जइसे ढोल मनजीरा।
छत्तीसगढ़ के हित के खातिर, जूझ मरे चाहे जइसन हो।
जी चाहत हे छत्तीसगढ़ के अवइया मुख्यमनतरी अइसन हो।

पाछू ला गोड़ेली मार, मुड़भसरा ओला गिराके,
फेर, सबके देखऊ मा उही ला, पुचकारथे गजब उठाके।
मंच – सजवा, माला पहिर के, जय जय कार कराके,
मानसिक आरथिक सबो रूप मा, पक्का गुलाम बनाके।
राज करइया नइ चाही, जिंकर सुभाव अइसन हो।
छत्तीसगढ़ के अवइया मुख्यमनतरी, भरत राम के जइसन हो।

तइहा ले पियास बुझावत हे, आसवासन ओस चटा के,
बोट बटोरे म माहिर हे, भासन मा भूख मिटा के।
पोगराय पगुराय टकराहा हे, हकदार ला हकले हटा के,
ऊंच बने के भरम पाले हे, ऊंचाई दूसर के घटा के।
समझ बूझ के करव छत्तीसगढ़िया, जइसन ला तइसन हो।
निरनय लेय के बेरा आय हे, मुख्यमनतरी हमर कइसन हो।

राजिव लोचन, बमलेसवरी जिंहां हे, दनतेसरी दिन दानी,
अरपा पैरी सोंढू सिवनाथ अऊ इनदरावती के बानी।
रग रग म जेकर दऊड‌त हाबय, महनदी के पानी,
उही आय पक्का छत्तीसगढ़िया, रकछक हे इंकर भवानी।
धीर वीर गमभीर नियाव प्रिय, सचाई जेकर दरसन हो।
छत्तीसगढ़ के अवइया मुख्यमनतरी, बुढ़हा देव जइसन हो।।

गजानंद प्रसाद देवांगन
छुरा