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संस्मरण

आरटीओ चेकिंग : समसामयिक हास्य संस्मरण

एक्सीलेटर ल मुठा म चीपे जोर से अइंठत सुन्ना रोड म फटफ़टी ल भगावत रहेंव, सनसन..सनसन… बोंअअ…ओंओंअअ ..।
रद्दा में देखेंव त आठ दस झन मनखे मन तिरयाये अपन मोटरसाइकिल धरके खड़े रहय। एक झन नवरिया बिहतिया कस लागिस ओखर सुवारी कनिहा के आत ले मुड़ ला ढांके रहय। एक झन बनिया व्यापारी टइप मनखे गाड़ी के पाछू म बोरा लादे अउ आघू पुट्ठा म सामान धरे तीर मा ठाढे रहय। दू झन मनखे जबरन गाड़ी के प्लक ल खोल के साफ़ करत रहय, सब्बो गाडी वाले मन ल ठाढ़े देख, मोरो मन म खुटका होईस। महू अलकरहा जान के जोरहा बिरेक लगायेंव, फटफ़टी चिचियावत वोहि मेर रुक गे।
हेलमेट उतारके एक झन मनखे ले पूछेंव- आप मन ये मेर काबर ठाढे हव भईया? वो बताईस- आगे रोड मा आरटीओ चेकिंग चलत हावे। ये बात ल सुनके महू हडबडा गयेंव, गाडी ले उतरेंव, गाडी के जम्मो कागजात, इंश्योरेंस अऊ लईसेंस ल चेक करेंव। मोर गाडी के जम्मो कागज-पाथर अपडेट रिहिस, मैं कहेंव आज मेंछा मा ताव देना चाही।
पुलिस वाला रोकेगा तो तनतना के कागजात पेश कर देइंगे। एहि सोच के फटफटी म जोरहा किक लगायेंव अऊ गाडी को बोमियावत आघू बढ़ा दिया। जइसे जइसे उंखर तीर पहुंचते गया, मोर दिल घलोक धकधकउहन चलने लगा। फेर कागज पाथर के ध्यान आया तो कांफिडेंस घलोक बाढ़ गया। आघू देखा तो 6-7 झन टिरेफिक पुलिस वाला, ओ मारे सिटी धरे, लाईन से सब दुपहिया, चौपहिया ला झांय झांय रोकवावत रहे।
मैं बिरेक के ऊपर चबचबा के पांव ल धरे रहंव… जइसे पुलिस वाला हाथ मारेगा वोइसने गाडी ल रोकना हावे…। हेलमेट के भीतरी ले मोर आंखी पुलिस वाला के हाथ के इशारा के इंतज़ार म लुकलुकावत रहय..। फेर ये का होगय संगी। तीर मा पहुंच गयेंव… एको झन पुलिसवाला नई रोकिस .. अकबका गयेंव, ये का होगे ददा.. ?
आज मौका मिले रहिस मेंछा मा ताव देहेके.. मोला रोकिस काबर नही साले मन..। मोर मन होईस के खुदे रुक जांव… फेर सोचेंव काबर बघवा के मुंह म हाथ देहे जाय… फेर संगवारी हो ईमान से कहत हंव, वो दिन छुछुवाय कस लागिस… सित्तो म संगी हो, वो दिन भारी खीख लागिस…..।
बाद म पता चलिस के आज-काल आरटीओ सिरिफ हेलमेट नइ पहिनइया मनखे मन ला ही छेंकथे….।

देवेन्‍द्र दुबे
बिलासपुर