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Sargujiha कहानी

सरगुजिहा कहनी – हिस्सा-बांटा

रामपाल जइसे तइसे हाईस्कूल पास करके जंगल ऑफिस में बाबू बन गइस । तेजपाल आठवीं कछा ले आगू नइ बढ़े सकिस । हार के ओकेला नागर कर मुठिया धरेक बर परिस । तेजपाल अपन खेती-पाती कर काम में बाझे रहे त दीन दुनियां सब ला भुलाए रहे। रामपाल अपन ऑफिस कर काम ले फुरसत पावे ते पूछ लेहे करे – “ कइसे बाबू नागर-बरधा ठीक चलथे ना ?’

तेजपाल कहदे – हॉ ददा बने बरधा हवंय। मोर खेत कस कोनों .. कर खेत नई जोताइस होही।

रामपाल ओकर पीठ में हाथ फिराय देये त तेजपाल कर बल हर दुगुन होय उठय। तेजपाल अपन ददा रामपाल के डरबौ करै। तेकर ले ओकर आगू ढेर नई गोठियावय । दाई-दाऊ छोटेपन मे सिराय गए रहिन । रामपाल ओके ला अपन लड़िका अस पाले रहिस । तेकरे ले तेजपाल के नई डांटे बकी तेजपाल ओके डराबे करे ।

एक दिन तेजपाल खेत ले फिरत रहिस डगर में बनिया भेंटाय गइस ।
तेजपाल के बोलाय के पूछे लागिस -“कइसे तेजू ? तोर बांटा में कतना
रूपिया पाए ? तेजू अचकचाय गइस। बनियां कर मुँह ला निहारे लागिस । बनियां फेर कहिस – मोर मुँह ला का देखत हवस रे, मोर गोठ ला नई सुने ?”

“कइसन रूपिया, का कर रूपिया ? मैं त नई जानों- “तेजपाल कहिस। बनियां बताए लागिस – “तोर ददा हर नई बताईस तोके ? तुमन कर जमीन डूबान में आए हवय ना, ओकरे बीस हजांर रूपिया पाए हवय । ओही रूपिया ला पूछत रहें। “तेजपाल सोच में पर गइस। ददा रूपिया पाइस बकी मोरठे एको आखर नई गोठियाइस । मोरो बांटा तो होबे करही ओमे। अइसने सोचत-बिचारत घरे पहुँचिस। अंगन में नागर ला मढ़ाय के मचिया में बहठ गइस अऊ अपन परानी ला चिकरिस – “तनी बेना लान त बोड़रहिन अंधेर गरमी फूंकत हवे ।

बोड़रहिन हर बेना लान के धूंके लागिस। बेना ला ओकर हाथ ले लेके तेजपाल अपने धुकें लागीस । तहां पुछिस – “ददा कहाँ हवय ?
बोड़रहिन कहिस -” भौजी ठे त। आफिस जाए बर तियार होत रहिन अइसने त मैं सुने हों” ददा के काबर पुछत हवा आज ? का बात हवय ?”
तेजपाल कहिस – “बंनियां हर गोठिआवत रहिस कि ददा के बीस … हजार रूपिया मिले हवय खेत बंधा डुबान में आए हवय तेकरे बर। बकी ददा मोर ठे एको आखर नईं गोठिआइस ।”
बोड़रहिन कहिस – “मोके नई मालूम एकर बारे में बड़े दीदी हर कुछुच नई कहिस-बताइस ।” तेजपाल मंने मन सोचे लागिस ददा मोकेला ठगत तो नई हवय सब रूपिया ला अपन हर हड़पे बर सोचत होही तेकरे ले एको आखर नई गोठियाइस । एकर फैसला करवाए बर लागही। अइसने सोच के गौंटिया-पटेल घरे गईस । गौंटिया अपन परछी में बइठ के लकरा सन कर रस्सी बनावत रहिस । तेजपाल के देखिस त पूछिस – “कइसे चले बाबू इते ।” तेजपाल कहिस – “मैं दरबार बइठावथों तेकरे बर कहे आए हों।
गौंटिया पूछिस का बारे में तै दरबार बहठावथस” ?
तेजपाल बनिया कर गोठ ला सुनाय देहिस।
गौंटिया पूछिस – “अपन ददा ठे नई पूछे एको धार ?
तेजपाल कहिस — ओकर ठन मैं का पुछों ? मोके ठगे बर लगाए
हवय तेकरे ले मोके नई बताइस । अइसे में कइसे चलही ? लेगा तुही बतावा?
गौंटिया पूँछिस — “त कइसे कहथसं ?”
“हमर बांटा कर देवा, अब एके में नई चले” – तेजपाल कहिस।
गौंटिया कहिस – “ठीक हवय, तैं चल घरे, मैं पटेल कर संगे
आवथो”। तेजपाल घरे फिर आइस। घरे रामपाल बइठे रहिस पूछिस –
“कइसे बाबू ? मोके काबर खोजत रहे” ?
तेजपाल बनिया कर बात ला कह सुनाइस । रामपाल ला ए सुनके काठ पर गइस। अपन बाबू ला मैं केतना माया करथों अऊ एहर दूसर कर गोठ ला पतिआवत हवे। मोर ठे एको आखर नई पूछिस।
तेजपाल कहिस – “मैं दरबार बइठाहूँ। आज हमर हिस्सा – बांटा होय जाए तोबे ठीक रही।
रामपाल कहिस — “दरबार बइठाए कर का जरूरत हवय” तोके जोन लेहे बर होही ले लेबे। सबझे ला देखाए बर काहे तियार हस तै” ?
तेजपाल ढेर नई गोठियाइसं अपन बइंगरा में घुसर गईस, रामपाल पाछू
कती ले ओके देखत रह गईस।
तनिके देरी में गौंटिया पटेल अऊ दुई चार सियान आय पहुँचिन।

रामपाल सब के पायलागी करिस अऊ बइठे बर खटिया-मचिया देहिस।
– तेजपाल बीड़ी माचिस लान के देहिस। सबझन बीड़ी सुलगाय के तियार
होय गइन गौंटिया कहिस — “देख भाई रामा। तोर छोटे बाबू अब आपन .
. हिस्सा -बांटा करे चाहथे। तेकरे ले हमन जुटे ही । तोर का कहना हवय” ? रामपाल हाथ जोर के ठाढ़ होए के कहिस – “बाबू के मैं अपन लइका अस पाले पोसे हो मैं कइसे कहों कि तै अब अलगे रांध – खा। बकी बाबू मानबे नईं करे त तुंहरे जइसन अच्छा जाना तइसे करा-बनावा। जइसन बतावा ओही में तियार हों।”

ओ दिन कर दरबार में दूनों झन कर खेत-बारी घर सब कर बांटा होय गइस।। रामपाल अपन आफिस जग कर सरकारी क्वाटर में रहे लागिस । तेजपाल गांव कर घर में रहे अऊ खेती – बारी कर धन्धा देखे लागिस । जब ले तेजपाल अपन ददा ठे अलगे होइस रोज एक न एक बिपत परे लागिस । अबले सब कोनों मिलके रहें तेकर ले कोनों दुख हर दुख नई लागत रहिस । तेजपाल मौज में रहे बकी आज अकेला होए जाएले ओके ला अपन ददा कर कहती इयाइ आए लगीस। रामपाल ओकर घुमाई में कभों दबकावे त कहे -अझे ढेरे मदावथस । जब तोर मूडे परही त जानबे –

“भूल जाबे चटक मटक। भूल जाबे छकड़ी ।
तीन चीज याद रखबे नून, तेल, लकड़ी ।।

ददा ठीके गोठिआवे” तेजपाल सोचे । बाकी अब कुछुच नई होए सके काबर कि बरखा आय पहुँचिस। तेजपाल नागर बरधा लेके अपन खेत में नांगर उतार देहिस। ओकर ददा कर खेत में नागर नई उतरे रहिस । काबर कि नागर खाली नई रहिस। मजूरी ढेरे बाढ़ गए रहिस। रामपाल अपन बांटा ला अधिया में उठाय देहिस। तेजपाल कर जोताई-बोवाई आगू आगू होए गइस । अब फुरसतहा गांव में बूलै-किंदरे । रामपाल कर खेती पछुवाय गइस । पानियों हर हालुए भाग गइस । रामपाल अपन जंगलिहा डिउटी में भिड़े रहे । रामपाल अपन काम में पक्का रहे तेकरे ले साहब मन ओके ला पतियावें। एक दिन बनियां कर गाड़ी ला जंगल मे पकड़ लेहिस सिपाही

हर । बनियां हर सब बुध लगाय देखिस बकी ओकर गाड़ी हर नई छुटिस।
क्‍ तब रामपाल ठे गइस । हाथ जोर के ठढोए के कहिस – “रामाबाबू, तुहरे
सहारा हवय, मोर गाड़ी ला छोड़वा देवा, नई त मै बिलाय जाहूँ। रामपाल

. कहिस – “जंगल ले लकड़ी चोराय के लेजत रहा तेकरे ले गाड़ी धराइस
हवय । नईं जाना, पेड़ काट के कमाई करेबर चले हा। जुरमाना तो भरेके
परही तबे गाड़ी हर छूट पारही। आखिर में पन्द्रह सौ जुरमाना भरिस तब
बनियां कर गाड़ी हर छुटिस। बनियां हर कसर ला धरे रहिस।

तेजपाल के एक दिन अइसन जर चढ़िस कि उतरे कर नामें नई लेवे।
छव – सात दिन होय गइस। घरे चूल्हा हों नई जले। बोड़रहिन कर त
अकिले काम नई करे। घरे दाना सिराय गइस अऊ रूपियो सिराय गइस
त बनिया ठे करजा काढ़े गइस। बनिया हर दुरिहें ले दबकाए लागिस ।
गोड़ा – पइ्यां करिस त रूपिया देहे बर तियार होए गईस बकी बियाज
अइसन ढेर मांगिस कि जोन कभों न देवाये सके। कहे लागिस – “तैं आए
हवस रूपिया मांगे त नई करत नई बनें। रूपिया ले जा बाकी एकर फिरता
में एको दिन ” ? तेकर अइसन कनखिमारिस की बोड़रहिन उहाँ ले भागते भागिस, फेर ओकर ठन नईं गइस । सोचे लागिस अब कहाँ जाओं ‘कइसे करों ? तहां ओके सरपंच कर सुरता आइस।। तहाँ ओहर सरपंच ठे गइस । सरपंच ओकर किस्सा ला सुन के कहिस – “तैं रामा ठे काबर नई जास ? अब ओकर ठे जाहें में तोर काम बन ही ”।

बोड़रहिन कहिस – “बकी हमर हिस्सा-बांटा तो होय गइस हवय। अब हमर काबर सुनही ?”

“कइसनों होय, अपन-अपने रहथें। हिस्सा-बांटा जमीन – खेत कर होय हवय । मोह माया कर बांटा थोरे होय हे । मैं रामा के जानथों अपन भाई कर दुख में ओहर जरूर कूदही”। ।

सरपंच कर समझाए – बुझाए ले बोड़रहिन रामपाल कर ऑफिस ठे कर क्वाटर में पहुँचिस। ओकर जेठानी देखिस त खुसी कर मारे कूद के पोटार लेहिस । घरे लेजके बइठारिस अऊ गांव कर हाल चाल पूछे लागिस ।
बोड़रहिन कर आंखी ले आंसू गिरे लागिस। धीरे-धीरे पूरा किस्सा सुनाये
इहिस । दूनों झन कर आंखी ले आंसू बहे लागिस । तेकर जेठानी कहिस –
तैं काबर डरावथस ? हमर कर रहत ले तुमन ला डरे कर कोनो काम नई
है । बाबू कर जर नई छोड़त हय त ओके ला इहाँ कर अस्पताल में भरती
करवाये बर लागही” ।
दूसर दिन रामपाल अपन आफिस कर गाड़ी ले के गइस । तेजपाल ददा के देखिस त गोहांर मार के रोए लागिस। रामपाल ओके पोटार लेहिस । जब ओकर रोवाई हर थमिस त रामपाल कहे लागिस – “तै हमरन के अइसन गैर आदमी काबर समझे रे बाबू ? नई जानस दाई हर मरत घरी मोर ठे कहे रहिस – “रामा ऐ हर तोर भाई नई लागे । तोर लइका बरोबर  हवय। अब तहीं एकर दाई-दाऊ लागस ।”

तेजपाल कहे लागिस – “ददा मैं त मूरखा रहें । बनियां कर कहे बताए में मोर अंकिल हर भंड़ गए रहिस । मोके माफ कर देइहा। मैं भुलाय गए रहें कि मोर ददा अइसन तो कोनों नई होही। मैं जइसन गलती करें, तइसन भोगथों । बकी ओ सारे बनिया ला मैं नई छोड़हूँ। तनी नगदाय पारों त बिना पनही मारे नई मानहूँ। अइसन मइनसे हर गांव में रही त सारे गांव ला बोर देही एक दिन।” रामपाल समझाये लागिस। बड़ा देर में तेजपाल मान पारिस। चार दिन ददा ठे रह के तेजपाल अपन गांव फिरिस ।

अब फेर रामपाल अऊ तेजपाल पहिले जइसे मिल-जुल के रहे लागिन । झगरा कर जड़ रूपिया होथे। रामपाल अपन रूपिया ला तेजपाल कर नाम करवाय देहिस । बनिया दूईयों झे कर मेल मिलाप सुनिस त डराय गइस।। गंवटिया पटेल सरपंच सबझे मिल के पंचाइत बइठाइन। भरल पंचाइत में बनिया हर अपन गंलती ला कबूल करिस अऊ माफी मांगीस। सरपंच रामा ठे पूछिस– “कइसे रामा ? का कहथस ? एकेला का डांड लगाइ ?”

रामपाल कहिस — “जब सबकर आगू में बनियां हर माफी मांगत हवय त ओकर गलती माफ करना चाही । तेजपाल ठे पूछल गइस त ओहर कुछ नई बोलिस। बनियां के गुरेर के देखिस। ओहर मूड़ी ला तरियाय लेहिस अऊ भुईयां ला ताके लागिस ।

  • बी.पी. मिश्रा “अनाम”
    धौराटिकरा, वार्ड नंबर-8
    बैकुंठपुर, जिला-कोरिया, छ.ग.
    मो. 75871–51723