जेन ह दुख म रोवय नइ मया के फसल बोवय नइ मुड़ ल कभू नवोवय नइ मन के मइल ल धोवय नइ ओहा मनखे नोहय जी। जेन ह जीव के लेवइया ए भाई भाई ल लड़वइया ए डहर म कांटा बोवइया ए गरीब के घर उजरइया ए ओहा मनखे नोहय जी। जेन ह रोवत रोवत मरे हे भाग ल अगोरत खरे हे बेमानी के दऊलत धरे हे जलन के भाव ले भरे हे ओहा मनखे नोहय जी। जेन चारी चुगली करत हे दाई ददा के घेंच धरत हे पइया के…
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घाम जनावत हे
बितगे जाड़ आगे गरमी घाम जनावत हे। तात तात आगी असन हवा बोहावत हे कोयली मइना सुआ परेवा नइ गुनगुनावत हे छानही खपरा भिथिया भूंइया जमो गुंगंवावत हे कुकरी बोकरी गरवा बइला बछरू नरियावत हे बितगे जाड़ आगे गरमी घाम जनावत हे। गली खोल गांव सहर घर सिनिवावत हे नल नहर नदिया समुंदर तरिया सुखावत हे बिहनिया मझनिया रथिया ले लइका चिल्लावत हे कूलर पंखा एसी फिरिज सबला भावत हे बितगे जाड़ आगे गरमी घाम जनावत हे। सुरूज देव अपन ताकत ल सबला बतावत हे घर के बाहिर भीतरी म…
Read Moreचउतरा सेठ
संगवारी हो दुनिया म गजब गजब के मनखे रइथे। कोनो बड़ सिधवा होथे त कोनो बड़ टेड़वा। टेड़वा मनखे के मति के कोनो ठिकाना नइ रहय। कभू भी कहूं ल ठग देथे। चउतरा मनखे ह भगवान घलो ल नइ छोड़य। एकबार एक चउतरा सेठ ह डोंगा म बइठके बेपार खातिर यातरा करत रहिस। यातरा के बेरा डोंगा जब नदी के ठीक बीच म पहुंचिस तिहा जोरदार हवा गर्रा सुरू होगे। अब तो डोंगा म बइठइया मन के जी उड़ियागे। कइसे बांचबो कइसे बाचबो कहे लगिस। डोंगा अभी पानी म डुबे…
Read Moreकबिता : घाम जनावत हे
बितगे जाड़ आगे गरमी घाम जनावत हे। तात तात आगी असन हवा बोहावत हे कोयली मइना सुआ परेवा नइ गुनगुनावत हे छानही खपरा भिथिया भूंइया जमो गुंगुवावत हे कुकरी बोकरी गरवा बइला बछरू नरियावत हे बितगे जाड़ आगे गरमी घाम जनावत हे। गली खोल गांव सहर घर सिनिवावत हे नल नहर नदिया समुंदर तरिया सुखावत हे बिहनिया मझनिया रथिया ले लइका चिल्लावत हे कूलर पंखा एसी फिरिज सबला भावत हे बितगे जाड़ आगे गरमी घाम जनावत हे। सुरूज देव अपन ताकत ल सबला बतावत हे घर के बाहिर भीतरी म…
Read Moreजप तप पुन के भूंइया ए हमर छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के माटी के महक ह न सिरफ भारत म बल्कि पूरा बिस्व म फइले हे। ए भूंइया ह तप अऊ पुन के भूंइया ए। इहां एक ले बड़के एक संत, रिसि अऊ मुनि पइदा होय हे। महानदी, सिवनाथ अऊ इंदरावती छत्तीसगढ़ के पबरित बोहात नदिया ए जेकर तीर म रहिके कइझन तप करइया होइस। महानदी ल छत्तीसगढ़ के गंगा कहे गयहे। छत्तीसगढ़ के अलग अलग बेरा म अलग अलग नाव परिस। रामायन काल म एला दक्छिन कोसल, महाभारत काल म प्राककोसल अऊ गुप्त काल म दक्छिनापथ कहे गिस। नाव…
Read Moreबिहाव म खवाव बोरे बासी
हमर छत्तीसगढ़ म किसम किसम के खाई खजाना भरे हे। तस्मई, बरा, भजिया, चिवरा, उखरा, सोंहारी, खुरमी, ठेठरी, अउ नई जानन कतका कन बियंजन हावे। फेर किसान मन अउ छत्तीसगढ़ के मितान मन ल बोरे बासी ह जादा मिठाथे। मोर छत्तीसगढ़ के संगवारीमन ल एक कति काजू,बदाम, पिसता, अखरोट, इटली, दोसा दे देवव अउ दूसर कति एक बटकी म बोरे बासी दे देवव ओमन बोरे बासी ल खाही। काबर, बोरे बासी म बिटामिन के खजाना हे। जेहर बोरे बासी खाथे ओला बिटामिन के टानिक बूढ़ात ले लेहे बर नई परय।…
Read Moreछत्तीसगढ़ी के पीरा
गवां गेंहव अपने घर म बनगे मंय जिगयासा हौं खोजत हौं अपन आप ल मंय छत्तीसगढ़ी भासा औं। सहर म पूछारी नइ हे गांव के मन भगवारत हे कोन बचाही मोला संगी अंगरेजी अडंगा डारत हे कहुं कति ठऊर नइ हे ढुलत जुआ के पासा औं खोजत हौं अपन आप ल मंय छत्तीसगढ़ी भासा औं। अधिकारी सरमावत हे त चपरासी ह डरावत हे बदल गेहे दुनिया ह अब कोनो मोला नइ भावत हे धरमदास के गुरतुर बानी सुंदरलाल के गाथा औं खोजत हौं अपन आप ल मंय छत्तीसगढ़ी भासा औं।…
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