सुवा गीत नारी जीवन के दरपन आय। ये दरपन म वियोग, सिंगार, हास्य, कृषि, प्रकृति प्रेम, ऐतिहासिक, पौराणिक, लोककथा के संगे संग पारिवारिक सुख-दु:ख के चित्रण देखे बर मिलथे। पंजाब के लोक नृत्य भांगड़ा, असम के लोक नृत्य बिहू अउ गुजरात के लोकनृत्य गरबा कस छत्तीसगढ़ के लोकनृत्य सुवा नृत्य के देस-विदेस म चिन्हारी कराये […]
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महतारी के ममता
श्रध्दा के राजिम भारत, समानता के लोचन आय। राम सेतु कस प्रेम सेतु ला, कोनो हा झन टोरन पाय॥ भक्ति के भारत मा मइया, इरसा नजर लगावत हे। स्वारथ के टंगिया मा संगी, कुटुम्ब काट टलियावत हे। रावन, कंस फेर कहां ले आगे, लिल्ला बर काबर सम्हरत हव। राम, कृष्ण के भुइंया मा, संगी, कबीर […]
उदेराम के सपना-2
(एखर पहिली के अंक में आपमन उदेराम के सपना के आधा (भाग एक) ल पढ़ेव। जेमा उदेराम ह अपना दाई-ददा मेर लबारी मार के गांव वापिस आ जाथे अउ मछरी मारथे। पढ़िस-लिखिस नहीं तेकर सेती अपन अवइया पीढ़ी के लइका मन ल पढ़ाहूं-लिखाहूं अउ बने कमइया बनाहू कहिके सपना देखे रहीसे। ओकर सपना ह कइसे […]
उदेराम के सपना
‘चुनाव के करजा ल छूटे बर बबा ह कभू-कभू खिसिया के काहय- ए टूरा ह हम्मन ल सड़क म लाय बर किरिया खा हे तइसे लागत हे। उदेराम ह गांव ले सहर तक करजा म बिल्लाय राहे। दुरूग म पांच कण्डिल करा एक झन सेठ ह कथे- कस उदेराम तोर मुड़ म अतेक-अतेक करजा हे […]
इंकर रोवई-धोवई ल देखके कथे- अब रोय ले कोई फायदा नइहे। नबालिग उमर म बिहाव करे ले अइसने होथे- जच्चा अउ बच्चा के मउत। ओ न्हारी सियारी सेकलाथे ताहन किसान मन के चोला ह हरियाथे। हरियाही काबर नहीं, काबर कि इही ओन्हारी-सियारी के बदौलत तो जिनगी ल संवारना रहिथे। बने सुकाल होगे त सोचे बिचारे […]
छत्तीसगढ़ी ला राजभासा के दरजा तो मिलगे फेर अब तक ले कामकाज के भासा नई बन पाय हे। कामकाज के भासा बनाए बर छत्तीसगढ़ भर बिदवान मन चिंता फिकर करत हें। आखिर छत्तीसगढ़ी कामकाज के भासा कइसे बनय।छत्तीसगढ़ी राजभासा कामकाज के भासा कब बनहीछत्तीसगढ़िया मन के छत्तीसगढ़ राज के सपना ल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी […]