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व्यंग्य

बेंदरा बिनास

चार पहर रतिया पहाईस ताहने सूरुज नरायण ललाहूं अंजोर बगरावत निकलगे। ठाकुरदिया के नीम अउ कोसुम के टीप डंगाली म जइसे रउनिया बगरिस रात भर के जड़ाय बेंदरा मन सकलागे । मिटींग बरोबर बइठे लागिस ,उंहे बुचरवा मन ए डारा वो पाना डांहके लागिस । मोठ डांट असन ह बने सबो झिन के बिचवाड़ा म […]

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गज़ल

गज़ल – ओखी

तोर संग जब जब मोर जीत के दांव होती आही, पासा के चले बर चाल तोला बस गोंटी चाही! कभू नीलम कभू हुदहुद कभू धरे नाव सुनामी, मोला करे बरबाद अब तोला तो ‘ओखी’ चाही! मोर घर कुंदरा उड़ागे तोर रूप के बंड़ोरा म, उघरगे लाज बचाये बर दू गज लंगोटी चाही! आगी बरथे मोर […]

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व्यंग्य

व्यंग्य : गिनती करोड़ के

पान ठेला म घनश्याम बाबू ल जईसे बईठे देखिस ,परस धकर लकर साइकिल ल टेका के ओकर तीर म बईठगे। पान वाला बनवारी ल दू ठिन पान के आडर देवत का रही भईया तोर म काहत घनश्याम ल अंखियईस। दू मिनट पहिलीच एक पान मुहु म भरके चिखला सनाय भईसा कस पगुरात बईठे रिहीस। बरोबर […]

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कहानी

छत्तीसगढ़ी कहानी : सजा

आज जगेसर कका ह बिहनिया ले तियार होके पहुंचगे रहय। “ले न भांटो कतका बेर जाबो ते गा!दस तो इंहचे बजा डारे हव।सगा मन घलो काम बुता वाला आदमी हरे ,कहूं डहर जाएच बरोबर हरे।” काहत रामसिंग ल हुदरिस।आज रामसिंग के बेटा अनिल बर छोकरी देखे बर जावत हे।दू झिन नोनी के पाट के बाबू […]

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गज़ल

छत्तीसगढ़ी गज़ल

कब ले खड़े हस तै बताय नही ए धुंधरा म बिया चिन्हाय नही! मुहु मांगे मौसम मयारू संगी बर हुदुप ले कहुं मेर सपड़ाय नही ! सिरावत हे रूखवा कम होगे बरसा लगाये बिरवा फेर पानी रूताय नही! अनजान होगे आनगांव कस परोसी देख के घलो हांसे गोठियाय नही! जेती देखबे गिट्टी सिरमिच के जंगल […]

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गज़ल

छत्तीसगढ़ी गज़ल

बनना हे त जग म मयारू बन के देख पढ़ना हे त मया के दू आखर पढ़ के देख! अमरीत पीये कस लागही ये जिनगी ह काकरो मया म एक घांव तै मर के देख! बड़ पावन निरमल अउ गहरी ये दाहरा नइ पतियास त एक घांव उतर के देख पूस के ठुनठुनी होय चाहे […]

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गज़ल

छत्तीसगढ़ी गज़ल

लईका ले लईका के बाप होगे करिया ले सादा चुंदी अपनेआप होगे! बिन मंतर भोकवा कस देखत हे दाई नेवरा त गोसईन सांप होगे! कुड़ेरा कस मुहू बनाय बहू खटिया धरे बेटा मनात बिहनिया ले रात होगे! घर बार नही जमीन जहेजाद नही का बताबे इंहा तो करेजा के नाप होगे! अपने घर म परदेशिया […]

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गोठ बात

मन के बिचार

‘स्वच्छ भारत मिशन’ के मनमाने सफलता ल देख के मोर मन म एक ठिन सपना आत हे ,हमर सरकार ल अवईया नवा बछर ले ‘मंद छोड़ो अभियान’ शुरू कर देना चाही।उदघाटन घलो उंकरे ले होय त अउ बढ़िया। कम से कम यहू तो पता चलही कोन कोन सियान मन मंद मतवारी करत रिहीन। फेर का […]

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कविता

छत्तीसगढ़ी गीत ‘हाथी हाथी’

अभी हमर कोति जंगलिया हाथी बनेच दंदोरे हे, धान चंउर ल बनेच रउंद दारे हे, उही दुख ल गाय हंव। सरकार ह सीखे पढ़े (परसिक्छत) हाथी ल दक्छिन भारत ले लाने बर लाखों खरचा करत हन कहिथे, फेर का काम के? ‘पहुना परदेशिया’ उही हाथी बर लिखे हंव! रंग महल राज्योत्सव तनी इशारा हे! हाथी […]

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कविता

कविता : बेरा हे गीत गाय के

शीत बरसावत आवय जड़काला सोनहा बाली म मोती कस माला पिंवर होगे पहिरे हरियर ओनहा जइसे दुलहिन बिहाव के ओढ़े दुशाला! खेत ह लागे भांय भांय सांय सांय घर जइसे बेटी के छोड़त अंगना उछाह उछलय कोठी कोठार म जस कुलकत मीत मया के जोरत बंधना! मने मन म हांसी एक मन आगर जुड़ावय शीतलावय […]