रइहीं तरिया म मनखे, पानी आबे,अमुआ डारी म बइठे जोहत रइहौं। घर म सुरता भुलाये, बइठे रहिबे,कोला बारी म मैंहा, ताकत रइहौं। बिना चिंता फिकर तैं, सोये रहिबे,बनके पहरी मैं, पहरा देवत रइहौं। तैंहा बनके बदरिया, बरसत रहिबे,मैं पियासे,पानी बर, तरसत रइहौं। मोर आघू म दूसर लंग हंसत रहिबे,घूंट पी पी के मैंहा रोवत रइहौं। […]
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मैं रइथौं गंवई गांव मं मोर नाव हे गंवइहा, बासी बोरे नून चटनी पसिया के पियइया। जोरे बइला हाथ तुतारी खांध म धरे नागर, मुंड़ म बोहे बिजहा चलै हमर दौना मांजर। पानी कस पसीना चूहै जूझै संग म जांगर, पूंजी आय कमाई हमर नौ मन के आगर। चार तेदूँ मउहा कोदइ दर्रा के खवइया, […]
सपना सही तैं आये चल देहे मोला छोड़,सुरता हर आथे तोर,सुरता हर आथे तोर। आके तीर म पूछे तैंहा, सीट हावै खाली,कहाँ जाबे तैहा ग, मैं हा जाहूं पाली।छुटटा मागें सौ के,मया ल डारे घोर,सुरता हर आथे तोर,सुरता हर आथे तोर। रंग बिरंग के चूरी पहिरे छेव छेव म सोनहा,फूल्ली पहिरे नाक म,नग वाले तिनकोनहा।कोहनिया […]
बने रहै मोर बनी भूती ह, बनै रहै मोर गाँव,बने रहै मोर खपरा छानही,बर पीपर के छाँव। बड़े बिहनिहा बासत कुकरा, आथे मोला जगाये,करके मुखारी चटनी बासी,खाये के सुरता देवाये।चाहे टिकोरे घाम रहै या बरसत पानी असाढ़,चाहे कपावै पू ा मांघ, महिना के ठूठरत जाड.।ओढ़ ले कमरा खूमरी, तैहा बढाना हे पांव,बने रहै मोर खपरा […]
सुरता के दियना, बारेच रहिबे,रस्ता जोहत तैं ढाढेंच रहिबे।रइही घपटे अंधियारी के रात,निरखत आहूं तभो तोर दुआरी। मैं बनके हिमगिरी,तैं पर्वत रानी,मौसम मंसूरी बिताबो जिनगानी।कुलकत करबो अतंस के हम बात,निरखत आहूं तभो तोर दुआरी। मैं करिया लोहा कसमुरचावत हावौं,तैं पारस आके तोर लंग मैं छुआजाहौं।सोनहा बनते मोर,बदल जाही जात,निरखत आहूं तभो तोर दुआरी। आये मया […]
छत्तीसगढ के रहइया,कहिथें छत्तीसगढ़िया, मोर नीक मीठ बोली, जनम के मैं सिधवा। छत्तीसगढ के रहइया,कहिथें छत्तीसगढ़िया। कोर कपट ह का चीज ये,नइ जानौ संगी, चाहे मिलै धोखाबाज, चाहे लंद फंदी। गंगा कस पबरित हे, मन ह मोर भइया, पीठ पीछू गारी देवैं,या कोनो लड़वइया। एक बचन, एक बोली बात के रखइया, छत्तीसगढ़ के रहइया, कहिथें […]