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कविता

कबिता : होरी के उमंग नोनी……

होरी के उमंग नोनी
माते हावय चारों कोती
होरी के उमंग नोनी
रंग अउ गुलाल देख
उत्ताधुर्रा मातत हे।
खुसी अमरावत हावय
घर-घर, गली-गली
लइका अउ सियान सब
फाग गीत गावत हे।
रंगगे होरी ह सिरतो
होरी के उछाह म वो
मया-मया मया-मया
डहर पहर बगरत हे।
तरिया सुहावत हावय
अमरइया ममहावत हावय
कोइली हा गुरतुर-गुरतुर
राग ल अलापत हे।
झूमत हावय रुखराई
करत हावय अगुवाई
होरी म गोरी हा कइसे
जोड़ी सोरियावत हे।
जुड़-जुड़ पानी बिहना
संझा के जुड़ हावा
भइगे संगी सबे बेरा
बासी हा सुहावत हे।
आवव जम्मों जुरमिल
मना लेवन संग होरी
होरी हा बइरी ल घलो
मितान बनावत हे।

चम्पेश्वर गोस्वामी
भटगांव, अभनपुर