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गोठ बात

छत्तीसगढ़ के कर्जादार

आज छत्तीसगढ़ी ह राजभाषा बनगे हावय। राजधानी ले अतेक अकन अखबार निकलथे के अंगरी म गिनना मुसकिल हे। फेर एक ठन छत्तीसगढ़ी अखबार आज ले नई निकल पाइस। ये निमगा छत्तीसगढ़ अखबार निकाले म घाटा दिखथे। एक कालम तो होना चाही। दूसर राज्य म ऊंखर राजभासा के अखबार अउ पत्रिका दिखथे।
छत्तीसगढ़ी ल राजभासा बनाय के घोसना होय दू बछर बीत गे। फेर कोनो डाहर ले नी जनाय के छत्तीसगढ़ी ह राजभासा बन गे हे। राजधानी ले अतेक अकन अखबार निकलथे के अंगरी म गिनना मुसकिल हे। फेर एक ठन छत्तीसगढ़ी अखबार आज ले नई निकल पाइस। अरे निमगा छत्तीसगढ़ी अखबार निकाले म अखबार वाला मन ल घाटा दिखथे तौ कम से कम एक कालम तो सब अखबार में अनिवार्य रूप ले छत्तीसगढ़ी में राहय। ये बिसय में छत्तीसगढ़ के जम्मो अखबार (जेन छत्तीसगढ़ी पेज निकालथें तेन ल छोड़के) ऊंखर पत्रकार अउ संवाददाता छत्तीसगढ़ के कर्जादार हें।
आज हर अखबार में चार पेज आंचलिक समाचार छपथे फेर छत्तीसगढ़ी के सबले जादा दुकाल उंहे दिखथे। एखर बर संवाददाता मन ल छत्तीसगढ़ी रिपोर्टिंग भेजे बर मजबूर करे जाय। कोनो नेवरिया भासा ल परतिस्ठित करे म अखबार के कतका बड़ भूमिका हो सकथे येला बताय के जरूरत नइ हे। काबर के अखबार छोड़के बाकी चीज के पढ़इयाच कतका हे? अखबार वाला मन ल घला सोचना चाही के जेन भुइंया के अन्न खात हे, जिंहा के हवा में सांस लेवत हे अउ जिंहा के पानी पीयत हे ओखर प्रति उंखरो कुछु करतब बनथे। फेर ये मन ल दोस देना फालतू हे काबर के ये मन तो निमगा बेवसायी हरे। सबले जादा सिकायत तो छत्तीसगढ़ी राजभासा आयोग ले होना चाही। जेन ल बने घला दू बछर बीत गे फेर ओखर कोनो ठस लगहा काम के आरो नी मिलय। ये ओखर बुता हरे के अखबार में छत्तीसगढ़ी सामग्री ल अनिवार्य करातिस। मोला तो ये आयोग के बड़का पदाधिकारी मन के कोनो लेख घला देखे ल नइ मिले हे फेर को जनी ये मन राजभासा आयोग म बइठे-बइठे काय करत हें। अतका दिन म होना ये रिहिस के आयोग छत्तीसगढ़ी के अधिकृत वर्नमाला कोती धियान देतिस। एखर बिना छत्तीसगढ़ी म वर्नमाला ल ले के भरम छाय हवे। जेन जइसे पावथे तइसे लिखत हे।
आज छत्तीसगढ़ी रचनाकार ह कतका बपुरा परानी हे तेनो ल बताय के जरूरत नइ हे। ओखर कतका सोसन होवत हे ये कोती घलो राजभासा आयोग ल धियान देना चाही। आयोग ल चाही के रचनाकार मन बर अखबार ल अनुदान के बेवस्था कराय। जेखर से छत्तीसगढ़ रचनाकार मन ल मानदेय मिलना पक्का हो सकय। अवइया बछर में ये काम मन हो जाय तौ केहे जा सकथे के छत्तीसगढ़ के कर्जा छुटाथे।
दिनेश चौहान
शीतलापारा, नवापारा
राजिम