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ब्‍लाग विवाद

छत्‍तीसगढि़या संगी मन संग जरूरी गुपचुप बात

हिन्‍दी ब्‍लॉग के जम्‍मो संगी मन ला जय जोहार.
संगी हो आपमन अभी के ब्‍लाग जगत में होत धरी के धरा झूमा झटकी ला देखत होहू.
हमर कई झिन भाई मन अपन-अपन गुट के नेता के संग देहे के खातिर पोस्‍ट और टिप्‍पणी ले ससन भर भर के बान मारत हें.
राजकुमार सोनी भाई, ललित शर्मा भाई, पाबला भाई मन उडनतश्‍तरी वाले समीर लाल के तरफदारी बने फरियार के करत हे त संजीत त्रिपाठी भाई ह अनूप सुकूल कोती खडे टिपनी सिपनी करत दिखत हे. 
बाकी छत्‍तीसगढि़या भाई मन ला ये बात ले कोई मतलब नई हे कि कोउ नृप होय …. वाले भाव हे काबर कि जउन भाई मन ला नेता के फोन सोन आवत हे तउन मन ला तो अपन नेता के जय जोहार करेच ला परही गा चाहे संजीत होवय के ललित. 
पाबला जी अउ राजकुमार भाई मेर समीर ला संग देहे के ठोस कारन हे. उदय भाई घलो बने गोठियाये हे अपन बिलाग म. 
बाकी ब्‍लागर मन के कोन मान मरदन होगे कि मेंछा टें के समीर या अनूप के संग देहे बर लउडी ले के भिड जाव. हम बिन कारन के कारन नई दन करखरो संग न अनूप सुकुल के पिस्‍तौल फैक्‍टरी मा हमला दरबानी करना हे ना समीर लाल के उडनतश्‍तरी म बईठे के हमर औकात हे. 
हॉं समीर लाल के बचपन हमर छत्‍तीसगढ म बीते हे ता ओखर बर अनूप ले थोरकुन जियादा परेम हमर हे, बस अतके अउ कोनो चूमा-चांटी नहीं.
बड़े बिहिनिया मांगै दान, लाल बाल हमर फूफा दनान.
पांडे सुकुल हमर समधी मान, लड़ई झगरा मा हमर बढ़ही मान.
हमला अइसन नई गाना हे.
राम राम।

संजीव तिवारी 
(ये मोर निजी बिचार ये)

8 replies on “छत्‍तीसगढि़या संगी मन संग जरूरी गुपचुप बात”

बने केहे हस संजीव भाई,
हमर विरोध काखरो ले नई हे,न अनुप शुक्ला हमला खाए बर देवे,न समीर लाल। हमु हां एक बछर ले बने बुलागिंगे करे हन,न बुधारु के लेना न समारु के देना।
अउ बने केहे हस एखर मन के समर्थन अउ विरोध करे कउनो ठोस कारन घला नइ हे हमर तीर,लेकिन काय करबे झगरही डउकी बरोबर होगे,काखरो संग जबले झगरा नई माते तलघस ले हमर भात नइ पचय्।
लेकिन बैठे कुकुर के मुंह मा लौड़ी हुड़ेसना ठीक हे का? मेंछा जगाए हंन ता एखरे मन की खींचे बर हे का? जउन होरी तिहार के ओधा ले के आनी बानी के गोठ करे रिहिस,हमर बुलाग मा आके गारी-गल्ला हो्ले पढत रिहिस,अउ चेताए के पाछु नइ चेतिस,मान अपमान जम्मो के होथे भैया।

अउ एखर मन ले हमर कौनो जनम-जनम के पिरीत नई हे,हम मरबो त तीर तखार के हमर हितवा होय, चाहे दुश्मन होय जम्मो हा संदेसा पाके काठी मा अमर जाही, ये मन नई अमरे।
इहु हम जानत हन।

अपन बिरोध दर्ज करायेस तेखर बर धन्‍यवाद ललित भाई. हो सकत हे मैं गलत सोंचत होहंव, जब बातचीत होही त असमंजस नई रहिही. जम्‍मा पानी कस फरियर हो जही तेखरे सेती ये पोस्‍ट लगाये हंव, अपन दाई भाखा मा.

ललित भईया टिप्‍पणी मं सोरा आना सत बात कहेव आप, जय छत्‍तीसगढ़, जय बड़का ब्‍लागर.

कौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन
पुरूषों की कैटेगिरी में श्रेष्ठ ब्लागर का चयन हो चुका है। हालांकि अनूप शुक्ला पैनल यह मानने को तैयार ही नहीं था कि उनका सुपड़ा साफ हो चुका है लेकिन फिर भी देशभर के ब्लागरों ने एकमत से जिसे श्रेष्ठ ब्लागर घोषित किया है वह है- समीरलाल समीर। चुनाव अधिकारी थे ज्ञानदत्त पांडे। श्री पांडे पर काफी गंभीर आरोप लगे फलस्वरूप वे समीरलाल समीर को प्रमाण पत्र दिए बगैर अज्ञातवाश में चले गए हैं। अब श्रेष्ठ ब्लागरिन का चुनाव होना है। आपको पांच विकल्प दिए जा रहे हैं। कृपया अपनी पसन्द के हिसाब से इनका चयन करें। महिला वोटरों को सबसे पहले वोट डालने का अवसर मिलेगा। पुरूष वोटर भी अपने कीमती मत का उपयोग कर सकेंगे.
1-फिरदौस
2- रचना
3 वंदना
4. संगीता पुरी
5.अल्पना वर्मा
6 शैल मंजूषा

भैया सबसे पहिली बात त ये कि संजीत कोनो के समर्थन में नई हे, काबर कि दूनो में से कोनो ह
संजीत ल खाय बर नई देवत हे न आर्थिक न मानसिक, न ही मोर नेट कनेक्शन के पइसा पटाय बर आवय जउन ल मानसिक खाय बर देवत हे ऊ मन ह करत रहांय लिखत रहांय लामा लामा पोस्ट। दूसर बात ये कि अगर सिरफ छत्तीसगढ़ में कुछेक साल रहना ही कोई ल छत्तीसगढ़िया ब्लॉगर घोषित कर सकत हव आप सब मन हा तौ हिंदी के आदि ब्लॉगर कहे जाने वाले आलोक कुमार ला कइसे भूला जाथे ये राजनीति ह?
बताहू? ओही ह तो पहिला हिंदी ब्लॉग लिखैया हरे न, याद हे कि नहीं? रायपुर में रही के गे हे, नौकरी मा रहिस हे रायपुर म,
फेर???
अब आलोक जी जइसन आदि ब्लॉगर जौन हा हिंदी ब्लॉग के शुरुआत करे हे अउ रायपुर म रहे हे ओला तो आधा ले ज्यादा छत्तीसगढ़ के ब्लॉगर मन हा जानबे नई करय, काबर कि ओ भले मानुस ला कोनो गुटबाजी ले मतलब नई हे,
अब आगु बताव आप मन हा ठोस कारन ल, फेर आहुं जवाब पढ़े बर…

बाकी जिहां मै ह राजनीति वाले टिप्पनी करे हवं ओ एखर बर कि जइसन हिंदी साहित्य जगत के कर्णधार मन हा हिंदी सेवा के नाम ले राजनीति करत हे वइसने इहां ब्लॉगजगत में घलोक
हिंदी सेवा के नाम से अपन दुकान चलत हे वो साफ दिखत हे, हो सकते मोर ये कमेंट से फेर दु चार छत्तीसगढ़ के ब्लॉगर मन नाराज हो जावंय या फिर लिख मारय पोस्ट या कमेंट, लेकिन जतका आप मोला जानथव, मै हा सच कहे मा कमी नही
करंव, बाकी जेखर पेट पिराही दू रोटी ज्यादा खाही अऊ लिख लय जउन लिखना हे। मोर काय जाही। मन के लिखे बर आय हवं ब्लॉग म न कोनो गुट बनाय बर आय हवं न तो ब्लॉग के माध्यम से कोनो अपन धंधा के ग्राहक खोजे बर।

अऊ हां मोर कोनो नेता नई हे इहां ब्लॉगजगत में
जउन हा नेता के सहारे ब्लॉग लिखत हो ही ओ हा पकड़ लेवय बाबाजी के घंटा!!
😉

चलव फिर आहूं आपके जवाब देखे बर, जय जोहार

बने करेस संजीत भाई अपन बिचार देहे. आलोक कुमार भाई छत्‍तीसगढ़ से जुरे रहिस ये जान के खुसी होईस.

हिंदी सेवा के संबंध में आपके बिचार से मैं ह सहमत हावंव काबकि असली हिन्‍दी सेवा तो विखिपीडिया, गद्यकोश, कविता कोश म स्‍वैच्छिक स्‍वयंसेवक जइसे हजारों पन्‍ना के समाग्री बिना नाम के चाहत के डरईया मन करत हें, ब्‍लाग म हिन्‍दी सेवा तो हम अपन नाम बर करत हन.

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