छत्तीसगढ पैदा करय, अडबड चांउर दार
हवय लोग मन इंहा के, सिधवा अउ उदार
सिशवा अउ उदार, हवैं दिन रात कमाथें
दे दूसर ला भात, अपन मन बासी खाथें
ठगथैं ये बपुरा मन ला, बंचकमन अडबड
पिछडे हावय हमर, इही कारन छत्तीसगढ ।
ढोंगी मन माला जपैं, लम्मा तिलक लगाय
हरिजन ला छूवै नहीं, चिंगरी मछरी खाय
चिंगरी मछरी खाय, दलित मन ला दुतकारै
कुकुर बिलई ला चूमय, पावै पुचकारैं
छोंड छांड के गांधी के, सुघर रस्ता ला
भेदभाव पनपाय, जपै ढोंगी मन माला ।
कोदूराम दलित
One reply on “छत्तीसगढी कुण्डली (कबिता) : कोदूराम दलित”
अडबड सुघ्घर विचार अउ अडबड सुघ्घ्रर प्रस्तुती!!