सेवा दाई ददा के रोज करत तुम जाव मानो उनकर बात ला अऊर सपूत कहाव अऊर सपूत कहाव, बनो तुम सरबन साँही पाहू आसिरवाद तुम्हर भला हो जाही करथंय जे मन सेवा ते मन पाथंय मेवा यही सोच के करौ ददा-दाई के सेवा। धरती ला हथियाव झन, धरती सबके आय ये महतारी हर कभू ककरो […]
Tag: Koduram Dalit
बसंत बहार : कोदूराम “दलित”
हेमंत गइस जाड़ा भागिस ,आइस सुख के दाता बसंत जइसे सब-ला सुख देये बर आ जाथे कोन्हो साधु-संत. बड़ गुनकारी अब पवन चले,चिटको न जियानय जाड़ घाम ये ऋतु-माँ सुख पाथयं अघात, मनखे अउ पशु-पंछी तमाम. जम्मो नदिया-नरवा मन के,पानी होगे निच्चट फरियर अउ होगे सब रुख-राई के , डारा -पाना हरियर-हरियर. चंदा मामा बाँटयं […]
अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी, कतको झिन मन चल देइन, आइस अब हमरो बारी. जिहाँ लिहिस अउंतार कृष्ण हर, भगत मनन ला तारिस दुष्ट मनन-ला मारिस अऊ भुइयाँ के भार उतारिस उही किसम जुरमिल के हम गोरा मन-ला खेदारीं अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी. कृष्ण-भवन-मां हमू मनन, गाँधीजी सांही […]
मुड़ी हलावय टेटका, अपन टेटकी संग जइसन देखय समय ला, तइसन बदलय रंग तइसन बदलय रंग, बचाय अपन वो चोला लिलय गटागट जतका, किरवा पाय सबो ला भरय पेट तब पान पतेरा मा छिप जावय ककरो जावय जीव, टेटका मुड़ी हलावय ।। ************************** भाई एक खदान के, सब्बो पथरा आँय कोन्हों खूँदे जाँय नित, कोन्हों […]
होले तिहार
होले तिहार बड़ निक लागेसबके मन -मा उमंग जागे.समधिन मारे पिचकारी,समधी ला बड़ सुख-सुख लागे. आमा मऊँरिन,परसा मन, पहिरिन केसरिया हारजाड़-घाम दुन्नो चल देइन अपन-अपन ससुरार.का बस्ती, का वन-उपवन, कण -कण मा खुशिहाली छागे. नंदू नंगत नगाड़ा पीटय, फगुवा गावै फागधन्नू ढोल, मंजीरा मन्नू, झंगलू झोंके राग.सररर सराईस सरवन हर, सब्बो डौकी शरमागे. मंगलू घर […]
छत्तीसगढ़ के जन-कवि स्व.कोदूराम ‘दलित’ जी ह आजादी के संघर्स के समय रास्ट्रीयता के भावना जागृत करे खातिर दलित जी ह छत्तीसगढ़ी दोहा ल राउत नाचा के माध्यम ले गाँव-गाँव तक पहुँचाये रहिस. आज दलित जी के 101 वां जन्म दिन आय, आज उनला सुरता करत उखंर लिखे राउत नाच के छत्तीसगढ़ी दोहा हमर संगी […]
चल संगवारी ! चल संगवारिन ,धान लुए ला जाई ,मातिस धान-लुवाई अड़बड़ ,मातिस धान-लुवाई. पाकिस धान- अजान,भेजरी,गुरमटिया,बैकोनी,कारी-बरई ,बुढ़िया-बांको,लुचाई,श्याम-सलोनी. धान के डोली पींयर-पींयर,दीखय जइसे सोना,वो जग-पालनहार बिछाइस ,ये सुनहरा बिछौना . गंगाराम लोहार सबो हंसिया मन-ला फरगावय ,टेंय – टुवाँ के नंगत दूज के चंदा जस चमकावय दुलहिन धान लजाय मनेमन, गूनय मुड़ी नवा के,आही हंसिया-राजा […]
छत्तीसगढ पैदा करय, अडबड चांउर दारहवय लोग मन इंहा के, सिधवा अउ उदारसिशवा अउ उदार, हवैं दिन रात कमाथेंदे दूसर ला भात, अपन मन बासी खाथेंठगथैं ये बपुरा मन ला, बंचकमन अडबडपिछडे हावय हमर, इही कारन छत्तीसगढ । ढोंगी मन माला जपैं, लम्मा तिलक लगायहरिजन ला छूवै नहीं, चिंगरी मछरी खायचिंगरी मछरी खाय, दलित मन […]