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कविता

सोनू नेताम के कविता

स्वतंत्रता दिवस अमर रहे

१५अगस्त तिहार आगे
तिरंगा झंड़ा ल लहराबो
नवा नवा युनीफाम पहिर
दउंड़ के हम ईस्कुल जाबो

आजादी दिन ल सुरता करके
स्वतंत्रता दिबस मनाबो
सत्य अहिंसा मार्गदरसक
महात्मा गांधी ल सोरियाबो

राष्ट्रगीत अउ राष्ट्रगान
झँड़ा लहराके गाबो
महात्मा सुभास जवाहर
भारत माता के जय बोलाबो

गीत कविता अउ भाषण
मचंस्थ सभा म सुनाबो
नन्हे मन्ने हम बीर सिपाही
नाटक के नकल देखाबो

बिहानिया ले आरा पारा मोहल्ला
प्रभात फेरी जुलुस निकालबो
झंड़ा उंचा रहय हमारा
नारा लगावत जाबो

गुरु गुरुजन अउ परमुख सियान
एक जगा सब जुरियाबो
राष्ट्र ध्वजा ल फहराके
राष्ट्रगान ल हम गाबो!!

सुरता आथे

रात दिन मैंय गुंनत रहिथो
आँसु के धार मोला रोवाथे
तोर बिन मन नई लागे गोई
घेरी बेरी तोर सपना आथे

मिले बर परियास बहुत करेवं
सुरता तोर अब्बड़ सताथे
लिख लिख पतिया तोर बर लिखवं
धर धर आंसु के धार बोहाथे

मया के गोठ मैंय का लिखवं
सोचत सोचत दिन पहाथे
मोर जिनगि के मयारु संगी
रहि रहि तोर सुरता आथे!!

संगवारी तिहार

संग म खेलन संग कुदन
नानपन के दिन ल कभु नि भुलन
मया पिरित के खेल खेलवारी
कदम के रुख म झुलना झुलन

मोर नानपन के संग संगवारी
जिनगि जिए के दिन आय हे
हमर दोसदारी के रिस्ता नाता
मितान बनके जिए ल सिखाय हे

दुरिहाय हन सब एक दुसर ले
किश्मत म मिलना लिखाय हे
जिनगि भरके संग संगवारी
संग रेंगे के रद्दा देखाय हे

बड़ मुसकुल हे ए जिनगि के सफर
दोसदारी ने बहुत कुछ सिखाय हे
मरते दम तक संग साथ रहि
जियत भरके किरिया खवाय हे!!

दारु के निसा

अगोरा करथे बारह बज्जी के
मंदिर कस भीड़ सकलाय रहिथे
गांव गांव के दारूभट्ठी म
दारु बर लाईन लगाय रहिथे

सियान जवान निसा म मोहाय
चेपटी पउंव्वा चघाय रहिथे
कोट कोट ले पीके दारू
मंद मताउंना म पगलाय रहिथे

कोनो चिखला अउ कोनो डबरा म
टुन्न ले पीके परे रहिथे
अपन तन के हियाव नईहे
उपराहा अउ धरे रहिथे

पीए बर पईसा मांग-मांगके
घर दुवार ल गिरवी धरत हे
खाय बर चाउंर दाना नईहे
धान चाउंर बेचके पीयत हे

कतरो मनखे दवा टानिक सरि
एकरे भरोसा म जीयत हे
नसा शरीर के नाश ए
धीरे धीर जींव ल लीलत हे!!

सोनु नेताम “माया”
रुद्री नवागांव धमतरी