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कविता

छब्बीस जनवरी मनाबो “

छब्बीस जनवरी मनाबो संगी ,
तिरंगा हम फहराबो।
तीन रंग के हमर तिरंगा,
एकर मान बढाबो ।
ए झंडा ल पाये खातिर ,
कतको जान गंवाइस।
कतको बीर बलिदानी होगे ,
तब आजादी आइस ।
हमर तिरंगा सबले प्यारा ,
लहर लहर लहराबो।
छब्बीस जनवरी मनाबो संगी ,
तिरंगा हम फहराबो।
चंद्रशेखर आजाद भगतसिंह ,
जनता ल जुरियाइस।
वंदे मातरम के नारा ल ,
जगा जगा लगाइस ।
सुभाष चंद्र बोस ह संगी ,
जय हिन्द के नारा बोलाइस।
आजादी ल पाये खातिर ,
जनता ल जगाइस ।
वंदे मातरम के गाना ल ,
मिलके सब झन गाबो ।
छब्बीस जनवरी मनाबो संगी ,
तिरंगा हम फहराबो।
सत्य अहिंसा के बात ल ,
गांधी बबा बताइस ।
स्वदेशी अपनाये खातिर ,
चरखा खूब चलाइस ।
देश ल आजाद करे बर ,
सत्याग्रह अपनाइस ।
गाँव गाँव में जाके ,
आजादी के अलख जगाइस ।
कतका दुख ल पाइस सबझन ,
कइसे हम भुलाबो ।
छब्बीस जनवरी मनाबो संगी ,
तिरंगा हम फहराबो।।

प्रिया देवांगन ” प्रियू “
पंडरिया (कवर्धा )
छत्तीसगढ़
Email — priyadewangan1997@gmail.com

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