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अनुवाद नाटक

चिरई चिरगुन (फणीश्वरनाथ रेणु के कहानी आजाद परिन्दे)

जान चिन्हार –
हरबोलवा – 10-11 साल के लइका
फरजनवा – हरबोलवा के उमर के लइका
सुदरसनवा – हरबोलवा के उमर के लइका
डफाली – हरबोलवा के उमर के भालू के साही लइका
भुजंगी – ठेलावाला
हलमान – भाजीवाला
करमा – गाड़ीवाला
मौसी – हरबोलवा की मौसी
हलधर – सुदरसनवा के ददा
चार लइका – डफाली के संगीमन
चार लइका – सुदरसनवा के संगीमन




दिरिस्य: 1
खोर मा भुजंगी अउ हलमान लड़त हवंय, हरबोलवा देखत हवय।
भुजंगी – साला तोर बहिनी ला धरों।
हलमान – बोल साला, ठड़गी के डउका।
लड़त लड़त भाग जाथें।
हरबोलवा – नावा गारी वाह, ठड़गी के डउका।
अतकी बेरा करमा गाड़ी चलात आथे, हरबोलवा ओकर पाछू मा लटके रइथे, कोर्रा मा मारत गारी देथे।
करमा – उतर! हरामी के पिला!
थोरकुन धूरिया जाय के पाछू उतरथे, हरबोलवा घलो गारी देथे।
हरबोलवा – साला! ठड़गी के डउका।
करमा कसमसा के रह जाथे। करमा चल देथे। हरबोलवा जात जात स्कूल करा हबरते।
चपरासी आथे अउ कइथे।
चपरासी – साला तोला चीन्हत हों, तइंच हावस ना ओ दिन मोर छेरी ला धर के दूहत रेहे।
सबजीबाग के कसाई गली मा रथस ना, साला, इहांॅ का करे बर आय हस।
हरबोलवा – ए! गारी काबर देवत हस, मैंहर इहांॅ गली मा ठाढ़े हवौं, काकरो कुछु लेवत हौं।
चपरासी – साला! मुंॅहू लगत हस फेर, नाक के हाड़ा टोड़ दिहांॅ, मारो साला एक दू झापड़, साला इहांॅ नाली मा छोकरीमन तीन मिलट करथें, तेला देखत रथस। भाग साला, नीही ता दिहांॅ, एक दू झापड़।
ओ करा ले हरबोलवा भाग जाथे, चपरासी घलो भीतिरीया जाथे, हरबोलवा जात रथे ता फरजनवा ला भेंटथे। फरजनवा के मुंॅहू लटके हावय।
हरबोलवा – यार काबर मुंॅहू लटकाय हावस।
फरजनवा – मोर मोमा मोला बिहनिया बेरा के नास्ता बंद कर दिस हवय।
हरबोलवा – अरे यार, तोला तो एक दिन के नास्ता नी दीन हावैं अउ तैंहर हिम्मत हार गे, मोर तो कभू कभू दिन भर के खाना गोल कर देथें, उपर ले मार अउ गारी झन पूछ, ले सुन तोला मैंहर तीन मिलट के मायने बताहांॅ।
फरजनवा – ये तीन मिलट का हावय?
हरबोलवा तुर्री मार के मूतथे अउ कइथे।
हरबोलवा – समझे, तीन मिलट के मायने, — हे हे हे हे।




दिरिस्य: 2
हरबोलवा जात हावय, आज इतवार हावय, स्कूल के छुट्टी हावय, स्कूल तीर नाली करा जाथे, ओ सब सूरता करथे, इ तीर छोकरीमन मूतथे, अहू ओकरा मूतिहा कइथे, पेंट के चैन ला निकालिहांॅ कइथे कि ओला चपरासी के सूरता आ जाथे, ओहर बंद कर देथे।
हरबोलवा – ऐती आ गें हावों, ता मौसी घर जाथों, ठड़गी के डउका! ठड़गी के डउका! ठड़गी—।
एक करा लइकामन गधा के पूछी मा टीपा बांॅधत हावय, गधा रिहिस चालाक, पूछी ला चिपकाय रिहिस, हरबोलवा आपन पेंट के जेब ले तार के हुक निकालिस अउ ओमन के बिन मांॅगे मदद करिस।
हरबोलवा – अजी उसने नी होय, ला इ हुक ऐला डोर मा बांधके, पूछी मा लपेट दा, फेर हुक ला खोंच देवा।
फेर उसने करदिन, गधा भागत हे, टीपा बाजत हे , लइकामन जमो हांसत हवय, सुदरसन ओकर यार बन गिस।
सुदरसनवा – ऐन मउका मा तैंहर आ गे भला, काहांॅ रथस?
हरबोलवा – कसाई गली मा रइथों।
सुदरसनवा – बाप का करथे?
हरबोलवा – खलासी हावय।
सुदरसनवा – दाई हावय?
हरबोलवा – हावय।
सुदरसनवा – भाई बहिनी?
हरबोलवा – दू भाई तीन बहिनी। तोर दाई हावय?
सुदरसनवा – हांॅ हावय, सउत दाई हावय, फेर मोला अबड़ मया करथे, फेर मोर ददा कसाई हावय। असल मा मोर ददा हर हवय सउत ददा। माने नी समझे, मोर असली ददा मर गिस, ता मोर इ ददा हर मोर दाई ला फुसलाके एक दिन आपन घर बुलाइस, फइरका दे के सेन्दूर भर दिस मांॅग मा जबरदस्ती। दाई रोइस, फेर रोय ले का होही, सेन्दूर भर दिस एक घ ता, आखिरी मा मोर दाई इ सरत मा राजी होइस, सुदरसन ला आपन बेटा के साही राखबे, ता मैं तोर सुआरी, नीही ता–।
हरबोलवा – ए! सुदरसनवा, इ कोति तोर ददा आत हावय।
सुदरसनवा – आन दे।
हरबोलवा – मैंहर जात हवौं यार! मोला मौसी के घर जाय बर हावय।
सुदरसनवा – रूक यार!
हलधर – कस बे सूरा! बारह बज गिस ना अउ तैंहर सड़क मा खचड़इ करत हावस।
सुदरसनवा – आज छुट्टी हवय दुकान मा।
हलधर – छुट्टी हवय ता आभी ले घर काबर नी गे हावस, साला एक दिन तोर पीठ के चमड़ी उधेड़े ले बनही, जा घर जा।
अतकी कह के चल देथे।
हलधर भागिस ता सुदरसनवा आपन चेहरा ला पोंछिस फेर किहिस।
सुदरसनवा – तैंहर काहांॅ जात हावस?
हरबोलवा – मौसी के घर।
सुदरसनवा – काहांॅ रइथे तोर मौसी?
हरबोलवा – पगलखनवा के तीर मा। अउ तोर घर कति हवय, कोन दुकान मा काम करथस?
सुदरसनवा – इच खोर मा, पीर साहेब के मजार देखे हावस, ओकरे तीर। —चली यार! देखिहा तोर मौसी के घर, चली।
हरबोलवा – तैंहर? तैंहर मोर मौसी के घर काबर जाबे?
हरबोलवा ओला नी ले जांव कहत हावय तभू ले सुदरसनवा जोंक जइसने चपकगे हावय। एक करा के पानी के बंबा बिगड़े देख के दुनों खुसी ले उछल जाथें।
सुदरसनवा – पानी के फव्वारा! नहाबे?
हरबोलवा – अउ तैंहर?
सुदरसन पेंट छोर के नहाय बर लागिस। हरबोलवा आघू पाछू के बात सोचे बर लागिस।
आपन जेब ले साबुन के कुटी फेंकत कइथे।
हरबोलवा – जरा पाजामा सफ्फा कर ले।
दुनों झन नंगरा नहात हावय। बीच बीच मा नल ला चिमक के पिचकारी बनात हवय। डफाली अउ ओकर संगीमन नरियात कूदथे।
संगीमन – धरा धरा साला मला धरा।
हरबोलवा डरा गिस, फेर सुदरसनवा लापरवाही ले कुल्ला करत रिहिस।
डफाली – काहांॅ रथस बे? इहांॅ नंगरा होके नहाय बर आय हावस खचड़े।
हरबोलवा हर आपन आधा सुखाय पजामा ला जल्दी जल्दी पहिर लिस। सुदरसनवा हांॅसिस।
डफाली – ये साला बड़ चालू मालूम होत हावय, होसियार रिहा।
सुदरसनवा – तोर नांव डफाली हावय ना?
डफाली के मुड़ी के लिटी के चूंदी ठाढ़ होगिस, आंॅखि गुल्ला होगिस।
डफाली – तैं, तैंहर काहांॅ रथस? तैं कोन? तैंहर मोर नांव कइसे जाने?
सुदरसनवा – तोर दाई तोला लेके एक दिन हकीम साहेब के दवाखाना मा गे रिहिस ना?
डफाली – हांॅ।




सुदरसनवा हांॅसत रहय।
डफाली – जान चिन्हार के हावय रे! चली जाई।
सबो भाग जाथें।
सुदरसनवा – जानत हस, अतका बड़खा होगिस ना अउ दसना मा मूत दारथे।
हरबोलवा – हांसत किहिस – एकरे बर ससूर भागिस।
दिरिस्य: 3
ठौर – मौसी के घर।
हरबोलवा अउ सुदरसनवा जाथें, मौसी ओमनाला देख के एकोरच खुस नी होय।
मौसी – अउ इ कोन हावय? दिदिया तोला पीटथे, ता फेर ठीके करथे, दुनिया भर के लुच्चा लफंगामन के संग ऐती ओती मटरगस्ती करत रइबे ता एक दिन जेल जाबे। जा घर जा।
दुनों लहुंटे बर लागथे। हरबोलवा ला कुछु समझ नी आइस, आज मौसी इसने बिगड़ काबर गिस।
दिरिस्य: 4
सुदरसनवा – यार, वो झोपड़ी के भीतरी मा कोन बइठे रिहिस? ओहर तोर मौसा हावय?
हरबोलवा – मौसा? नीही तो, मौसा हर बरौनी मा रइथे।
सुदरसनवा – फेर वो लाल कमीजवाला कोन रिहिस?
हरबोलवा – कती?
सुदरसनवा – अरे, मैंहर झांॅक के देखे रेंहे, ऐकरे सेती तोर मौसी झटपटाके झोपड़ी ले बाहिर आय रिहिस अउ तोला डांॅटत रिहिस।
हरबोलवा – ओ!
सुदरसनवा – एकठन बात किंहा बुरा तो नी मानबे, तोर मौसी छिनाल हावय।
हरबोलवा – धत्त।
सुदरसनवा – धत्त का? मैंहर झांॅक के देखे रेंहे।
सुदरसनवा हांॅसे बर लागिस, हरबोलवा के मुंॅहू डफाली साही होगिस, मानों अहू हर दसना मा मूत दारथे।
हरबोलवा – तैंहर कोन चीज के दुकान मा काम करथस?
सुदरसनवा – दफ्तरी के दुकान मा, साला सड़े बासी लासा के गंध के मारे तोर दिमाग फाट जाही। करबे काम।
हरबोलवा – कतका मिलथे?
सुदरसनवा – मोट पंदरा रूपया।
हरबोलवा – बस।
सुदरसनवा – ता कागज मा लासा लगाय के अउ कतक मिलही सौ रूपया? बोल काम करबे?
मखनियांॅ कुंॅआ के नुक्कड़ मा कुछू होय रिहिस, ओमन कूदत कूदत जाथें, जब ओमन पहुंॅचथे ता खेल खतम हो जाय रेहे, स्कूटर अउ रिक्सा के एक्सीडेंट मा आदमी घायल होय रिहिन अउ दुनों अस्पताल चल दे रिहिन। दुनों पछताइन, हरबोलवा पाछू करके देखिस, सुदरसनवा बिड़ी के दुकान मा ठाढ़े होइस, बिड़ी छपचा के हरबोलवा के तीर आइस।
सुदरसनवा – बिड़ी पीबे?
हरबोलवा – मैंहर बीड़ी नी पीवंव।
हरबोलवा आपन मुहल्ला कोति जाय बर लागिस, सुदरसन के दिल बुता गिस। हरबोलवा ला नरियाइस।
सुदरसनवा – ऐ! सुन ना।
हरबोलवा – का हावय?
सुदरसनवा – तुंॅहर घर जांव, तोर संग मा?
हरबोलवा – नीही। बेकार मा मोर दाई तोला गारी दिही।
सुदरसनवा – तैंहर काम करबे?
हरबोलवा – ददा ला पूछिंहा? मोला बेला होवत हावय मैंहर जात हावौं।
सुदरसनवा – रूक ना जरा यार, सच्ची, लागत हावय तोर ले बड़ दिन ले जान पहचान हावय।
हरबोलवा हांसिस, ओकर हांॅसी हा सुदरसनवा ला मोह डारिस।
सुदरसनवा – तैंहर लकरी के कोयला के मंजन करथस।
हरबोलवा – हांॅ।
सुदरसनवा – महूंॅ घलो करिहांॅ।
हरबोलवा जाय बर लागिस।
सुदरसनवा – कहा सुना माफ करबे भाई।
सुदरसनवा के आंॅखि मा ना जाने का दिखिस कि हरबोलवा के दिल उमड़ आइस, वोहर रूक गिस।
हरबोलवा – का होइस?
सुदरसनवा – साला आज अबड़ मार परही।
हरबोलवा – तोला।
सुदरसनवा – जब तक मूच्छा नी जामही, तब तक हामन बालिग नी हो सकन, अउ जब नाबालिग रइबो, रोजेच लत्तम-जुत्तम! साला घर जाय के जी नी करत हावय। कहूंॅ भाग जाय के मन करत हावय। जब तक बालिग नी हो जान, रोजेच लत्तम-जुत्तम सहे बर परही, साला! सुन एक काम करबे? सलीमा मा टनटन भाजा बेचबे?
हरबोलवा – सलीमा मा टनटन भाजा?
सुदरसनवा – लोन सलीमा के तीर एकठन टनटन भाजा कंपनी हावय, ओमा मोर कतका संगवारीमन काम करथे, खूबेच मजा के काम हावय, यार! फेर जमानतदार नी मिले कोन्हो, अउ ददा साला काहे चाहिही कि ओकर बेटा टनटन भाजा बेचके पैसा जमा करिही। बीस रूपया महीना, एकदम अजादी के काम अउ उपर ले फोकट मा सिनेमा देख। मोर ददा किहिस टनटन भाजा कंपनी का मालिक एक सौ रूपया के पेशगी दिही? दफ्तरी हर दो सौ रूपया एडवांस दिस हावय।
हरबोलवा के खांॅध मा हाथ रखके बड़ मया ले पूछिस- बोल ना यार, टनटन भाजा कंपनी मा काम करबे?
हरबोलवा – फेर जमानतदार?
सुदरसनवा – ओकर इंतजाम हो जाही।
हरबोलवा – काहांॅ?
सुदरसनवा – हामर मुहल्ला मा एकझन अमजद मिस्तरी हावय, फेर अबड़ खचड़ा हावय।
सुदरसनवा थूंकत किहिस
यार एक घा कोन्हों जमानतदार हो जाही, एक घा टनटन भाजा कंपनी म नौकरी मिल जाय। फेर कोन ददा धरके ले जाही घर अउ कोन साला मारिही? फेर अमजद मिस्तरी साला अबड़ खचड़ा हावय।
हरबोलवा – खचड़ा हावय, ता जमानत कइसे–?
सुदरसनवा – खचड़ा हावय ऐकरे सेती तो जमानतदार होही।
सादी के ढोल बाजत हावय। दूनों झन ल्रबा सांस लीन।
हरबोलवा – इ साल खूबेच लगन हावय, तुंहर मुहल्ला मा कोन्होें सादी नी होइस? हामर गली मा एक रात मा पांॅच।
सुदरसनवा – मारो यार गोली! सादी ला! जब तक मुच्छा दाढ़ी नी जामही, साला, नाबालिग रबो हामन। चली अमजद मिस्तरी के घर चली।
हरबोलवा ला लागिस, सुदरसनवा ओकर सब कुछ हावय, सुदरसनवा के सिवाय इ दुनिया मा ओकर कोन्हों नी ए। ओकर दुख के समझोइया इ सुदरसनवा।
हरबोलवा – सुदरसनवा के हाथ ला धर के कइथे – फेर मोला डर लागत हावय।
सुदरसनवा – का के डर।
हरबोलवा – ददा।
सुदरसनवा – अरे एक घ कंपनी मा घूसन तो दे फेर देखबे इ ददामन ला। ए देख ऐती, ऐमा तेल लगाही, आके तोर अउ हामर ददा दाई, मौसा मौसी सबो, समझे।
हरबोलवा – खांध मा हाथ राखके – ता मिल जाही नौकरी?
सुदरसनवा – अमजद मिस्तरी ला तेल लगाय बर परही।
हरबोलवा – लगाबो, कंपनी के नौकरी बर जे करना रिहि करबो, आप लहुंट के घर नी जायबर हावय। थूकत हन घर ला।
सुदरसनवा – पक्का।
हरबोलवा – पक्का।

फणीश्वरनाथ रेणु के कहानी आजाद परिन्दे से।
एकांकी रूपान्तरण – सीताराम पटेल