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कविता

अक्षर दीया जलाबोन

अक्षर दीया जलाबोन संगी, निरक्षरता के अंधियार मिटाबोन ।
ज्ञान के मशाल ल धरके , गाँव गली तक जाबोन ।
सबझन पढ़बोन अउ पढ़ाबोन , सब कोई होही साक्षर ।
नइ राहे तब ये जग मा , भंइस बराबर काला अक्षर ।
नोनी पढ़ही बाबू पढही , पढ़ही बबलू के दाई ।
डोकरा पढ़ही डोकरी पढ़ही , अउ पढ़ही मनटोरा दाई ।
आ गे हावे भादो महीना , गणेश देखे ला जाबोन ।
गणेश जी हा खुश होही , जब ज्ञान के दीया जलाबोन ।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कवर्धा)
छत्तीसगढ़
8602407353