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गोठ बात

सुक्खा पर गे बेलासपुर के दाई अरपा

बेलासपुर के बिकास के धारा म कुछु छूट गे त ओ हवय अरपा नदी, जो ह बेलासपुर ल जीवन देवइया दाई के बरोबर हवय, कई बछर बीतिस अउ बछर के संगे-संग बेलासपुर सहर म थोरकिन बदलाव घलोक आईस, फेर अरपा नदी म कोनो देखे लइक बदलाव नई आइस, अरपा ह जइसन पहली रहिस, वइसने अभी के बेरा म घलोक हवय। पाछु के बेरा म त थोरकिन बोहात दिख घलोक जाए फेर अभी के बेरा म ओहु नई बांचे हे, अब तो ऊपर वाला भगवानेच कुछु कर सकत हे। अरपा ल दुबारा जियाये बर, काबर के नीचे वाला मन तो येखर विनाश म लगे हे, बोले बर एक ठिन कहावत हे न अपन गोड म कुल्हाड़ी मारना, ईहा तो टंकिया फरसा हंसिया सब्बो ल एके संग मार डारे हें, कहे बर कहिबो त नदिया के तीरे-तीर सड़क बना के मनखे मन के बइठे लइक सुंदर जघा बने हे, फेर उंहा का देखबे? सुक्खा परे अरपा ल, ओम परे कचरा ल जेन ह बेलासपुर सहर के देन हे। अइसे म ओला सँवारे के महत्व हे, जेमा कुछु नई मिलत हे।



अउ कई बछर ले सुक्खा परे नदी म पूजा-पाठ के नाव म अउ गंदगी ल डारत हें, अब ओमा कोनो पुन्य तो नई मिलत हे फेर पाप अउ बाढ़त हे अउ अरपा ल दुषित करत हे। पूरा सहर ल सहारा देवइया दाई अरपा ल बेलासपुर सहर के कचरा ल अपन मुड़ म उठाए ल परत हे। कइथें न दाई अपन लईका मन के सबो बोझा ल उठाथे, उंखर गन्दगी ल साफ करथे, भले अपन कतको पीरा म रहय, अपन लईका मनला पीरा नई होन दय तइसने बात हे। जेन दिन दाई के मयारू छांव ह छूट जाहि तेन बेरा कतका पीरा होही सब्बो ल पता चलही।

फेर हमर समाज म भले मनखे के घलोक कमी नई हे जउन मन ह अरपा ल बचाये म अपन जीवन के पूरा परयास लगाये हें। जेमा ‘अरपा बचाओ परियोजना’ सामिल हे, अब बून्द-बून्द म घड़ा भरथे अउ ओहि दिन के अगोरा हे, के घड़ा ह कब भरही। जेन दिन अरपा नदी ह पहली जइसे दुबारा लहर-लहर बोहाही अउ पूरा बेलासपुर के बिकास के संगे-संग आघु बाढ़ही।

स्लोगन- अरपा ल दुबारा जियाना हे,
लहर- लहर बोहाना हे।

बेलासपुर के अब इही हे आस,
अरपा नदी के होवय विकास।

अनिल कुमार पाली
तारबाहर, बिलासपुर छत्तीसगढ़
प्रशिक्षण अधिकारी आई टी आई मगरलोड धमतरी
मो.न-7722906664,7987766416
ईमेल-anilpali635@gmail.com
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