Categories
कविता

परमेश्वर के आसन

गांव-गांव पंचइती, खुलगे बांचे खुल जाही। अइसन सबे गांव हर ओकर, भीतर झटकुन आही।। गांव-गांव पंच चुनाही, भले आदमी चुनिहा। जेहर सबला एक इमान से, थाम्हे घर कस थुनिहा।। गांव के बढ़ती खातिर अब, लंजावर कमती होही। ओतके मिलही सफा बात ये, जउन हर जतका बोंही।। जतके गुर ततके मिठास कस, जउन काम जुरहीं। मिल […]

Categories
कविता

चरगोड़िया – छत्तीसगढी़ मुक्तक

(1) भइया नवा जमाना आगे । हमरे करनी हमला खागे । चल थाना म रपट लिखाबो हमर मान मरजाद गँवागे ।। (2) कइसन होगे हमर करम ? कहाँ लुकागे हमर धरम? मोटियारी मन ला नई लागै फुलपेंट म लाज सरम ।। (3) धान होगे बदरा, मितान होगे लवरा, नदिया के पानी घलो, होत हवै डबरा। […]

Categories
कविता

डॉक्‍टर दानी के बानी

आजकल पढैया लैक मन बर ज़रूरी होगे हवय ट्यूसन, कारकि अब सिक्षा के क्षेत्र मा घलो बढ गेहे कांपिटिसन, हम तो अलवा जलवा गुटका ला पढ के पास होय रेहेन, वो समय तो कक्षा म चिलम चढा के आवय सिक्षक मन्, अब के स्कूल डिसीप्लीन ला बड़ महत्व देथे,साथे साथ, हर बछर उमन फ़ीस ला […]

Categories
गीत

फुदुक-फुदुक भई फुदुक-फुदुक….

(छत्तीसगढ़ी भाषा के इस बालगीत को मैं अपनी मझली बेटी के लिए तब लिखा था, जब वह करीब एक वर्ष की थी, और थोड़ा-बहुत चलने की कोशिश कर रही थी। उस समय भी आज की ही तरह ठंड का आगमन हो चुका था, और वह बिना कपड़ा पहने घर के आंगन में इधर-उधर खेल रही […]

Categories
डॉक्‍टर दानी के बानी

मे हा चालीस बछर से रोज कोरट जावत हवव

आज करिया कोट के महिमा ला बतावत हववं, मे हा चालीस बछर से रोज कोरट जावत हववं, ए दारिक तोर फ़ैसला जरूर करवा दू हूं कहिथे, पर मोर नाम आथे तो रोघहा हा घर मा रहिथे, मोर से हर पेसी मा वो दु सौ रुपया पेसगी लेथे,, अउ कोरट बाबू मन संग सन्झा कुन चेपटी […]