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जीवन परिचय

संत कोटि के अलमस्त कवि बद्रीबिशाल परमानंद

जेन मनखे के रचना मन भले कभू पत्र-पत्रिका के मुंह नइ देखिन, फेर लोगन के कंठ म बिना वोकर रचनाकार के नांव जाने बइठिस अउ सुर धर के निकलिस, उही तो लोककवि होइस. सन् 1917 के रथयात्रा परब के दिन रायपुर जिला के गाँव छतौना (मंदिर हसौद) म महतारी फुलबाई अउ ददा रामचरण यदु जी […]

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Dr Baldev

साहित्यकार मनके धारन खंभा रिहिन डॉ. बलदेव

डॉ. बलदेव के चिन्हारी हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य जगत म सबो विधा म समान रूप ले सक्षम लेखक के रूप म होथे, फेर मैं उनला पहिली बेर एक समीक्षक के रूप म जानेंव. तब मैं छत्तीसगढ़ी मासिक पत्रिका ‘मयारु माटी’ के प्रकाशन-संपादन करत रेहेंव. उंकर पहिली रचना मोर जगा आइस, जेमा उन सियान साहित्यकार हरि […]

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व्यंग्य

गरीब मुलुक के बड़हर नेता

हमर देश भर नहीं भलुक पूरा दुनिया के एकेच हाल होगे हवय। हर देश ह अपन देश के कमजोरी ल जनता के आंखी ले लुकाय खातिर दूसर देश म आतंक फैलावत हे। लड़ई-झगरा के ओखी खोज हे अउ बड़े-बड़े बम गोला के धमाका करत हे। चारों मुड़ा हाय-हाय, रांय-रांय। जेन देश के अस्सी प्रतिशत जनता […]

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कविता

नंदावत ढ़ेंकी

भुकरुंस ले बाजय आवत-जावत घर के हमर ढेंकी फेर भाखा नंदागे एकर, अउ संग म एकर लेखी रकम-रकम के मशीन उतरत हे ए भुइयां म रोजे तइहा के जिनिस नंदावत हावय, सबके देखा-देखी – सुशील भोले मो. 098269-92811, 080853-05931

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अनुवाद

दूध म दनगारा परगे…

(पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की हिन्दी कविता *दूध में दरार पड़ गई* का छत्तीसगढ़ी भावानुवाद : सुशील भोले) लहू कइसे सादा होगे भेद म अभेद खो गे बंटगें शहीद, गीत कटगे करेजा म कटार धंसगे दूध म दनगारा परगे… मयारू माटी म येला पढ़व इंहा..

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गीत

फुदुक-फुदुक भई फुदुक-फुदुक….

(छत्तीसगढ़ी भाषा के इस बालगीत को मैं अपनी मझली बेटी के लिए तब लिखा था, जब वह करीब एक वर्ष की थी, और थोड़ा-बहुत चलने की कोशिश कर रही थी। उस समय भी आज की ही तरह ठंड का आगमन हो चुका था, और वह बिना कपड़ा पहने घर के आंगन में इधर-उधर खेल रही […]

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गीत

वंदे मातरम…

घर-घर ले अब सोर सुनाथे वंदे मातरम लइका-लइका अलख जगाथें वंदे मातरम… देश के पुरवाही म घुरगे वंदे मातरम सांस-सांस म आस जगाथे वंदे मातरम रग-रग म तब जोश जगाथे वंदे मातरम…. उत्तर-दक्षिण-पूरब-पश्चिम मिलके गाथें कहूं बिपत आये म सब खांध मिलाथें तब तोर-मोर के भेद भुलाथे वंदे मातरम…. हितवा खातिर मया लुटाथे वंदे मातरम […]

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कविता

आके हमर गांव…

तैं झुमर जाबे रे संगी, आके हमर गांव तोला का-का बतांव, तोला का-का बतांव…. उत्ती म कोल्हान के धारा रेंगत हे बोहरही दाई जिहां मया बांटत हे जिहां बिराजे महादेव-ठाकुरदेव के पांव…. चारोंखुंट तरिया अउ डबरी जबड़ हे लोगन के मया पहुना बर अबड़ हे मया-भेंट पाबे अउ अंतस म ठांव… रंग-रंग के भाजी-पाला, आनी-बानी […]

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गोठ बात

माटी पुत्र या माटी के पुतला?

हमर इहां कोनो भी मनखे ल मूल निवासी के रूप म चिन्हारी कराए खातिर एक सहज शब्द के उपयोग करे जाथे- ‘माटी पुत्र” खास कर के राजनीति म। चाहे कोनो पार्टी के मनखे होय, कोनो पद म बइठे नेता होय सबके एके चिन्हारी- ‘माटी पुत्र”। फेर मोला लगथे के ‘माटी पुत्र” कहाए के अधिकार हर […]

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कहानी गोठ बात

छत्तीसगढ़ी कहानी : मन के सुख

भोला… ए…भोला.. लेना अउ बताना अंजलि के कहिनी ल-जया फेर लुढ़ारत बानी के पूछिस। भोला कहिस- अंजलि जतका बाहिर म दिखथे न, वोतके भीतरी म घलोक गड़े हावय। एकरे सेती एला नानुक रेटही बरोबर झन समझबे। एकर वीरता, साहस, धैर्य, अउ संघर्ष ह माथ नवाए के लाइक हे, तभे तो सरकार ह नारी शक्ति के […]