Categories कवितानंदावत ढ़ेंकी Post author By admin Post date December 7, 2016 भुकरुंस ले बाजय आवत-जावत घर के हमर ढेंकी फेर भाखा नंदागे एकर, अउ संग म एकर लेखी रकम-रकम के मशीन उतरत हे ए भुइयां म रोजे तइहा के जिनिस नंदावत हावय, सबके देखा-देखी– सुशील भोले मो. 098269-92811, 080853-05931 Tags Sushil Bhole ← छत्तीसगढ़ी काव्य चितेरे : बाबू प्यारेलाल गुप्त → अहो मन भजो गणपति महराज