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कविता

फैसन के जमाना

फैसन के जमाना आगे,
आनी बानी फैसन लगावत हे।
छोकरी-छोकरा ला का कहिबे,
डोकरी डोकरा झपावत हे।।

उमर होगे हे अस्सी साल,
अऊ मुंड़ी मं डाई लगावत हे।
अजब-गजब हे डोकरी मन के चाल,
मुंहूं मं लिबिस्टीक लगावत हे।।
छोकरी-छोकरा ला का कहिबे,
डोकरी-डोकरा झपावत हे।
फैसन के जमाना आगे,
आनी-बानी फैसन लगावत हे।।

आज काल के नव युवक मन,
सिकरेट पैनामा जमावत हे।
कईसने डिजाइन के ओ पैंट पहिरे हे,
माड़ी के आवत हे बोचकावत हे।।
कोन जनी ओ चड्डी नइ पहीरे रतीस ता का होतीस,
थोरको सरम नइ आवत हे।
फैसन के जमाना आगे,
आनी बानी फैसन लगावत हे।।

डोकरा मन के घलो जवानी छागे,
टुरी मन ला देखके मेछरावत हे।
टुरी मन घलो कम नइ हे,
जींस टाऊजर लगावत हे।।
आँखी मं पहीरे हे करीया चस्मा,
अऊ स्कूटर ला कुदावत हे।
फैसन के जमाना आगे,
आनी बानी फैसन लगावत हे।।

आज काल के बहुरीया मन,
थोरको नइ लजावत हे।
छोटे-बड़े के पहिचान नइ हे,
मुड़ी ला अपन ऊघारत हे।।
काहां चलदीस ओ संस्कृति अऊ मरीयादा,
आज मांटी मं मिलावत हे।
फैसन के जमाना आगे,
आनी बानी फैसन लगावत हे।।
छोकरी-छोकरा ला का कहिबे,
डोकरी-डोकरा झपावत हे।
फैसन के जमाना आगे,
आनी बानी फैसन लगावत हे।।

गोकुल राम साहू
धुरसा-राजिम (घटारानी)
जिला-गरियाबंद (छत्तीसगढ़)
मो.9009047156