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किताब कोठी

छंद चालीसा – छत्तीसगढी छंद के कोठी

छंद चालीसा
“छत्तीसगढी छंद के कोठी”
रमेशकुमार सिंह चौहान

प्रकाशक
आशु प्रकाशन
पता- प्लाट नं. 509 मिलेनियम चौक
सुंदर नगर, रायपुर (छग)
मोबाईल : 09302179153

छत्तीसगढ राजभाषा आयोग के सहयोग से प्रकाशित

आवरण चित्र : प्रकाश सिंह प्रकाश
आवरण सज्जा : लोकेश सिंह चौहान
प्रथम संस्करण : 2017
मूल्य : 200 रुपये मात्र
कॉपी राइट : लेखकाधीन



भूमिका

गद्य विधा मा जउन महत्व व्याकरण के होथे, पद्य विधा मा उही महत्व छन्द के होथे। छन्द सीखे बर व्याकरण के ज्ञान जरूरी होथे अउ इही व्याकरण हर कोनो भाखा ला समृद्ध करथे। व्याकरण हर भाखा ला अनुशासित रखथे। प्रकृति घलो एक अनुशासन मा चलथे। रुखराई मन के फूले अउ फरे के समय निश्चित होथे। पृथ्वी, सुराज, चंदा, तारा, सितारा तको मन एक नियम मा चलत हें। पूरा ब्रह्माण्ड अनुशासन मा चलत हे। काव्य विधा ला अनुशासित रखे बर छन्द के ज्ञान जरूरी होथे । बिना लय के कविता, हिरदे ला नइई मोहे। लय वाले कविता, मन ला मोहे के संगेसंग सुनैया ला याद घलो हो जाथे। इही कारण हमर पुरखा कवि मन के कविता कई बछर बीते के बाद घलो हमन ला याद हवयं। कबीर, तुलसी, सूर, केशव, घनानंद, विद्यपति, बिहारी, सेनापति, सुंदरलाल शर्मा, नरसिंह दास, शुकलाल पांडेय, कोदूराम “दलित” ये सब हमर पुरखा कवि आय कविता मा गेयता हे। ये सब कवि मन छंदबद्ध कविता लिखिन हें तेपाय के इंकर कविता मा गेयता हे, प्रवाह है, लय हे। इंकर कविता मन अमर होगिन हें। इही लय हर कविता के आत्मा होथे। छन्द के ज्ञान रहे ले कविता मा लय आ जाथे। कई झन घलो कवि हें जउन मन छन्द के जानकारी नड्ट रखें तभो उंकर कविता मा सुग्घर लय होथे। इंकर कविता ला बारीकी ले देखे जाय त कोनो न कोनो छन्द के उपस्थिति जरूर मिलही जेखर कारण इंकर कविता मा लय आइस हे।
आज शहरीकरण बाढत हे। सब झन नवा पीढी ला इंग्लिश मीडियम के स्कूल मा भरती करत हें। एला देख के छत्तीसगढ के साहित्यकार अङ विद्वान मन घलो छत्तीसगढी भाखा नंदाये झन, सोच के चिन्ता करत हें। पाठ्यक्रम मा शामिल करे के मांग घलो जोरदार उठत हे। विज्ञान के कारण देश मा विकास होवत हे। विकास के कारण नवा नवा मशीन मन आवत हें। परंपरागत बहुत अकन जुन्ना मशीन अउ समान घलो चलन के बाहिर होवत हे। एखर बुरा प्रभाव भाखा ऊपर पड्त हे। बटकी, होंला, ढेंकी, जाँता, जइसे कतकोन समान चलन के बाहिर का होइस, ये शब्द मन घलो नंदावत हें। अट्टसन शब्द अउ परम्परा ला जिन्दा रखे बर इंकर प्रयोग साहित्य मा करना पडही । मोबाइल, कम्पयूटर, कार, डाटा जइसन नवा शब्द ला ला छत्तीसगढी मा वइसने के वइसने स्वीकार करना पडही तब हमर भाखा के शब्दकोश बाढही । ये काम चौहान जी करत हें। छन्द चालिसा मा मूसर, पटाव, पिट्ठल, तफर्रा, जडसन जुन्ना शब्द के प्रयोग घलो होये हे त कलेक्टर, इंजीनियर, बोरडिंग, दोसा, इडली, सहिष्णुता, नोट बंदी, नवा शब्द के प्रयोग घलो बिना संकोच के होये हे।
छत्तीसगढ मा दू तीन बछर पहिली ले छन्द विधा मा सुग्घर काम होवत हे। रमेश कुमार सिंह चौहान, एक अइसने नाम आय जङउन हर छत्तीसगढी भाखा मा कई किसम के छन्द लिखत हें। इंकर विषयवस्तु के चयन बेजोड हे। विज्ञान, धर्म, रीति रिवाज, तिहार, मौसम, राष्ट्रप्रेम, खेतखार, फसल, भूगोल, इतिहास, नीतिशास्त्र, गाँव के पीरा, गहिना गूँठा जडसन कई विषय मा छन्द रचिन हें। छन्द ला स्थायी अउ अंतरा मा सजा के गीत के रूप मा घलो ढालिन हे, कहूँ दोहा मा जनउला के प्रयोग करिन हें त कहूँ लोक गायिका पद्मश्री ममता चंद्राकर ला विषय वस्तु बना डारिन हें।
चौहान जी के दूसर किताब के अलावा छन्द के संग्रह घलो प्रकाशित होय हे। दोहा के रंग मा दोहा अउ दोहा के कई किसम के संग्रह हे। आँखी रहिके अंधरा, किताब मा उंकर कुण्डलिया छन्द के संग्रह हे। छन्द चालिसा नाम के ये किताब मा चालिस किसम के संग्रह हे। ये किताब हर कई मायने मा विशेष बन गेहे। एमा चालीसों किसम के छन्द के विधान संबंधित छन्द मा दिए गए हे। येहर अपनआप मा बहुते कठिन काम आय। सिरिफ पंडित जगन्नाथ प्रसाद भानु के छन्द प्रभाकर मा हर छन्द के विधान, संबंधित छन्द मा देखे मा आये हे। ये किताब के एक अउ विशेषता हे कि एमा छन्द सीखे अउ लिखे बर जरूरी व्याकरण के जानकारी विस्तारपूर्वक दिए गए हे। ये दुन्नों विशेषता ये किताब ला धरोहर बना दिही । मोला पूरा भरोसा हे कि रमेश कुमार सिंह चौहान जी के छन्द चालिसा, छत्तीसगढ के साहित्य ला समृद्ध करे बर मील के पथरा साबित होही। छन्द चालिसा बर चौहान जी ला गाडा गाडा बधाई ।

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ
मोबाइल – 8319915168, 9907174334



दू आखर मन के बात
सम्माननीय पाठक मन ला
सादर जयजोहार

बाबा तुलसीदास के रामचरित मानस पढत-पढत बीच-बीच मा छंद मन के नाम देख के ये छंद का होथे ? जाने के ललक होइस । हिन्दी साहित्य के स्वर्ण युग के मनीषीमन के छंदबद्ध रचना मन ले मन हा प्रभावित होबे करथे । छंद जाने के ललक मा स्कूली पाठ्यकम मा दे छंद वर्णन पढेंव फेर अधूरा लगिस । हमर छत्तीसगढ के छंदविद आचार्य जगन्नाथ प्रसाद भानु के “छंद प्रभाकर’ पढ-पढ के छंद सिखे के कोशिश करते हंव । अपन ललक अठ सनक मा इंटरनेट के ‘ओपन बुक्स आनलाइन’ साइट मा पहुँचेंव जिहां सीखे-सिखाये के अच्छा उदिम चलत हे इहां आदरणीय सौरभ पाण्डे के मार्गदर्शन अठउ हमर छत्तीसगढ के छंदविद श्री अरूण निगम के संगत मा छंद जाने समझे के प्रयास करेंव । छंद ज्ञान अपन–आप मा कोनो सागर ले कम नई हे । ये सागर के एकाक बूँद सकेल के छंद मा लिखे के कोशिश करत हंव । येही कोशिश करत कुण्डलियां छंद संग्रह आँखी रहिके अंधरा’ अउ दोहा छंद के संग्रह ‘दोहा के रंग’ आप मन तक पहुँचाय हंव । आप मन के मया-दुलार अउ सुझाव ला धरत एक ले जादा छंद के एक किताब प्रकाशित करे के विचार ला ‘छंद चालिसा’ के रूप मा आप मन ला सउपत हंव । “छंद चालिसा मा चालिस प्रकार के छंद के संग्रह हे । हर छंद मा पहिली छंद के नियम-धरम ला स्पष्ट करे के कोशिश करेंव हंव । अपन लइका बुद्धि के ये प्रयास ला आप मन ला साझा करत मन मा खुशी होथ हे ।

अपन समालोचना रूपी आशीर्वाद देहूँ, आशा अउ विश्वास हे…

रमेशकुमार सिंह चौहान
मिश्रापारा, नवागढ
जिला-बेमेतरा (छ.ग.)
पिन-491337
मो.–9977069545, 8839024871








कोन मेरा का विवरण
जानव अपन छंद ला25.4 झूमत नाचत बसंत आये
1. सुगती छंद25.5 दरत हवय छाती मा कोदो,
1.1 गणेश वंदनाहोके हमरे भाई
1.2 मया करले25.6 होरी हे होरी हे होरी
2. छबि छंद25.7 जय हो जय हो भारत माता
2.1 जय जय किसान25.8 लहर-लहर लहराये मइया, तोरे जोत-प्रैवारा
3. गंग छंद25.9 जग ला मोहे, तोर
3.1 हे काम पूजा25.10 कुँवा.जन्न ,अद्र पार मा मोर मयारू,
4. दीप छंददेखे रहेंव तोला, कुँवा पार मा
4.1 मोर छत्तीसगढ(सार छंद मा गीत)
5. अहीर छंद25.11 मैं पगला तैं पगली होगे (गीत)
5.1 मनखेपन25.12 ये नोनी के दाई सुन तो
6. तोमर छंद25.13 पैरी चुप हे साटी चुप हे, मुक्का हे कऱ्धनिया
6.1 भाखा तैं बने बोल25.14 छोड नशा पानी के चक्कर
6.2 भौतिकवाद के फेर25.15 बरस बरस ओ बरखा रानी
7. चंडिका छंद25.16 हरेली तिहार
7.1 नोनी बाबू एक हे25.17 मोर ग्रैव हे सुख्खा
8. उल्लाला छंद25.18 खोर-गली बिन ठगङडी लागय
8.1 काठी के नेवता25.19 चारो कोती ले मरना हे
8.2 धन धन तुलसी दास ला25.20 छत्तीसगढी भाखा रोवय
8.3 जगन्नाथ भगवान के रथ यात्रा26. छन्न पकैया
8.4 जनम दिन के बधाई26.1 आज हरेली हाबे
8.5 गीत-जीबो मरबो देश बर26.2 नारी नो हय अबला
8.6 गीत-गोदवांय हँव गोदना27. चवपैया छंद
9. कज्जल छंद2.1 प्रभु ला हस बिसराये
9.1 कंचन काया हवय तोर27.2 देवारी
9.2 जइसे मन मा सोच होय27.3 हमर देश
10. मधुमालती छंद2.4 छत्तीसगढी
10.1 ये गाँव ए28. कुकुभ छंद
11. सखी छंद28.1 भरे मइल मन मा कतका
11.1 नोटबंदी28.2 संस्कारी बीजा बो दा
12. विजाती छंद29. आल्हा छंद
12.1 मया के महिमा29.1 जगमग जगमग जोत करत हे
13. मनमोहन छंद29.2 जागव जागव अब बस्तरिहा
13.1 मनखे के हे, एक धरम29.3 अमर कथा सुन लौ बाबा के
14. चौबोला29.4 छत्तीसगढ महतारी के गोहार
14.1 देश-भक्ति हा, बड नेक हे29.5 आतंकी सोच ल मार गिराव
15. चौपई छंद29.6 जय हो जय हो मइया तोरे
15.1 तीजा297 जागव जागव भारतवासी
16. चौपाई29.8 कब तक हम सब झेलत रहिबो
16.1 मोर छत्तीसगढ के नारी29.9 जात पात हा होगे एक ?
16.2 अटकन बटकन दही चटाका30. त्रिभंगी छंद
16.3 जय जय मइया आदि भवानी30.1 जय जय गुरूदेवा
16.4 चल चिरईया नवा बसेरा30.2 थोकिन गुनले, बेटा मोरे
16.5 तोर करेजा पथरा होगे (चौपाई गीत)30.3 हे जग कल्याणी, आदि भवानी
17. रोला छंद30.4 आये देवारी
17.1 देवारी30.5 गणतंत्र परब
17.2 काम हे तोर लफंगी30.6 बैरी ला मारव
17.3 वाह रे पढई लिखई30.7 मनखे होगे, जस भट्टसा
17.4 मनखेपन30.8 ये मनखे चोला, सुन रे भोला
17.5 जोत-जवारा30.9 भौजी के रांधे
17.6 यशोदा के ओ लाला30.10 सुन बरखा दाई, करव सहाई
17.7 खोजव संगी मोर, कहां मनखे गंवागे31. बरवै छंद (नंदा दोहा)
17.8 हे गुरू घासीदास32. दोहा
17.9 जबर गोहार लगाबोदोहा-जनउला
17.10मोर गवा गे गाँव33. छप्पय छंद
17.11 रोला मुक्तक33.1 राम नाम जप ले
18. सिंहिका (शोभान) छंद33.2 कहय शहिद के बेटवा
18.1 देश ला मत बाँट33.3 एक रहव
18.2 तोर गुस्सा33.4 काम-बुता करव
19. रूपमाला छंद33.5 तोर पहिचान
19.1 पढे काबर चार आखर34. कुण्डलियां
19.2 हमर सैनिक हमर धरती, हमर ये पहिचान34.1 मुखिया
20. विष्णुपद छंद34.2 गुरू घासीदास के संदेश
20.1 जात-पात34.3 छत्तीसगढ के लता-ममता चंद्रकार
21. कामरूप छंद34.4 सुख्खा होगे बोर
21.1 ए गोरी34.5 दिखय ना पानी बादर
22. गीतिका छंद34.6 आंगा-भारू लागथे
22.1 छेरछेरा के परब34.7 लंबा लबरा जीभ
22.2 तफर्रा घाम34.8 पहा जथे हर रात
22.3 तै निराशा मेट दे34.9 कइसे मैं हर करव, बेटी के ग बिहाव
224 हे महामाई दया कर34.10 करम बडे के भाग
225 काम ये खेती किसानी35. मत्तगयंद सवैया
22.6 ये हमर तो देश संगी35.1 झूमत नाचत फागुन आगे
23. सरसी छंद35.2 पूस
23.1 जय जय महादेव35.3 शक्ति उही हर मातु कहाये
23.2 दारू (जोगीरा स रा र रा)35.4 गाँव जिहां लटका सब खेलय
23.3 होली हे होली हे होली ( जोगीरा स रा र रा)35.5 नाचत गात मनावत होरी
234 मन के अंधियारी मेट ले (गीत)35.6 गाँव बसे हमरे दिल मा
24. हरिगीतिका36. मदिरा सवैया
241 जय माँ भवनी आदि माता36.1 घाम करे अतका अब
24.2 छत्तीसगढ महतारी36.2 ईश्वर एक हे
24.3 मनखे37. दुर्मिल सवैया
244 जय हो भारत देश के37.1 बिटिया, तैं करबे बड नाम उहां
245 अपने डहर मा रेंग तैं37.2 झन झूमव शान गुमान म रे
25. सार छंद38. सुमुखी सवैया
25.1 हम छत्तीसगढिया आन रे38.1 गियां
25.2 बादर कस चुन्दी बगराये, चमकत रेंगय टूरी39. सुन्दरी सवैया
25.3 आतंकी बैरी39.1 गुण-दोष ल जाँचव पढई लिखई के
40. कहमुकरिया

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