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कविता

मोर दाई छत्तीसगढ़

मैं तोर दुःख ल काला बताओ ओ
मोर दाई छत्तीसगढ़
तोर माटी के पीरा ल
कति पटक के आओ मोर दाई छत्तीसगढ़।

कइसन कलपत हे छत्तीसगढ़ीया मन,
अपन भाखा ल बगराये बर
सुते मनखे ल कइसे मैं
नींद ले जगाओ ओ मोर दाई छत्तीसगढ़।

मोर भुइँया म नवा अंजोर के आस हे
तभो ले छत्तीसगढ़ी भाखा के हाल ह बढ़ बेहाल हे।
कई ठन बोली भाखा इहा करत राज हे,
छत्तीसगढ़ी भाखा के बने जीके जंजाल हे।

छत्तीसगढ़िया अपना महतारी भाखा बर,
करत कतका परयास हे,
तभो ले समझे नइ अउ मनखे मन
कोन जानी का इखर विचार हे।

अनिल कुमार पाली
तारबाहर बिलासपुर
छत्तीसगढ़
मो न.- 7722 906664