Categories
गीत

धानी भुईया मोर छत्तीसगढ़

बड़ सुग्घर महतारी के कोरा धान कटोरा धानी रे।
डोंगरगढ़ बमलई ईहा तेलिन दाई के घानी रे।।
पैरी सोंढुर के धार संग महानदी के पानी हे।
जनमेन इही भुइया म धन धन हमरो जिनगानी हे।।

जुड़ पुरवाही झकोरा म लह लहावत धान के बाली।
हरियर लुगरा पहिरय दाई माथ नवावय सूरज के लाली।।
अइसन हे छतीसगढ़ के भुईया जिनगी हमर भागमानी हे।
जनमेन इही भुइया म धन धन हमरो जिनगानी हे।।

सरग बरोबर गांव गली हे अमरईया खार ओनहारी डोली।
लइका खेलय भवरा बाटी बीरो बिल्लस हासी ठिठोली।।
कहानी कथा के अचरित रचना बबा के सुग्घर जुबानी हे।
जनमेन इही भुइया म धन धन हमरो जिनगानी हे।।

महामाई सीतला दंतेश्वरी दाई के डीही डोंगर म बसेरा।
सातो रिसी धुनि रमाये सिहावा डोंगरी म सुग्घर डेरा।।
गुन गावत भगवन चरण के मुनि महात्मा के बानी हे।
जनमेन इही भुइया म धन धन हमरो जिनगानी हे।।

दीपक साहू
मोहंदी मगरलोड