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किसना के लीला : फणीश्वर नाथ रेणु के कहानी नित्य लीला के एकांकी रूपांतरण

जान चिन्हार: सूत्रधार, किसना- योगमाया, जसोदा, नंदराजा, मनसुखा, मनसुखा की दाई
राधा, ललिता, जेठा, अनुराधा, सलोना बछवा

दिरिस्य: 1
जसोदा के तीर मा राधा, ललिता, जेठा, अनुराधा ठाढ़े हवय, किसना आथे।
जसोदा: एकर जवाब दे, ले एमन का कहत हवय? लाज नी आय रे किसना? छिः छिः समझा समझा के मैंहर हार गयेंव।
किसना:- गायमला अउ बछवामला साखी देत कइथे-
धौली ओ मोर बात सही हावय ना।
धौली कोठा ले हुंकारी देथे हूँक-हूँ।
सलोना बछवा घलो इच कहथ हवय,
सलोना बछवा: हूँक- हू।
किसना: सुनत हस दाई, सफ्फा सफ्फा लबारी मारत हवय, बोल दाई पसु बेचारामन काकरो बर काबर लबारी मारहीं। आं।
राधा, ललिता, जेठा, अनुराधा जोर से हॉंसथे, नंदराजा आके कड़कथें।
नंदराजा: काबर एक निरदोस ला रोज रोज दोस लगाथा?
राधा, ललिता, जेठा, अनुराधा हॉंसी ला रोक के भागथें।

दिरिस्य: 2
एक कोति किसना हवय अउ दूसर कोति सलोना हवय। सलोना डंहकथे ता ओकर घंटी टिनिंग टिनिंग बाजथे।
सलोना: उं-यां-यां।
किसना: ओ-ले! आ जा।
किसना आपन हाथ आघू कर दिस, सलोना ओकर हाथ ला एक मुड़ी मारिस।
किसना: काबर भाग आय।
जसोदा दीया जलाय जात हावय, सलोना मया मा अहू ला मुड़ी मा मारिस। घी के दीया छलक गिस।
जसोदा: आः सलोना! कन्हाई!
जसोदा धूप दीया देथे, संख बजाय खानि सलोना ओकर सूर मा सूर मिलाथे।
सलोना: उं-यां-यां।
किसना: ए! संख के मुंहू चिढ़ात हावस तैंहर अउ गारी खाहॉं मैंहर।
जसोदा: संख मा पानी पखारत- थोरकुन हॉंसके- मुंहू नी चिढ़ाय, संख के संग ओ रोज जयध्वनि करथे।
जसोदा दुनों के मुंहू मीठ करथे।
जसोदा: चल जलपान कर ले।
किसन: आपन घुंघरालू चूंदी ला झटकत – दाउ ला घलो आन दे।




दिरिस्य: 3
जसोदा डेहरी मा बइठ के जरीबूटी के झोली ले कुछू निकालथे।
किसना: बाबा के दाढ़ा मा दरद हवय का?
जसोदा: —–।
किसना: सुन ले दाई मैंहर आज ले गोरस नी पीवों। हॉं।
जसोदा: जरी खोंटत- ये तो रोज सुनथों, का बात हवय?
किसना: काबर? बतांहा, ये तोर गुनधर सलोना कभू मुंहू दांत धोथे, कभू भूल ले घलो मुंहू मा माटी नी लगाय।
जसोदा: मुंहू धोय के बहाना कभू माटी खा नी पाय।
किसना: मुंहू हर अतका गंधाथे कोन्हो एकर तीर मा बइठे नी सकय। एकर दाई के थन मा एकर थूक लार सबो लगे रइथे। — उवाक्।
सलोना: उं-यां-यां।
किसना: अमरित घलो काबर रहे, मैंहर एकर दाई के गोरस नी पीवों।
किसना झट के सलोना के मुंहू ला धर लीस।
किसना: एती देख दाई, आज जमुना कछार के माटी ले दांत ला एकर रगड़ दे हावों मैंहर, कतका चमकत हावें। फेर मुंहू हर आभी ले गंधात हावय।
सलोना: उं-यां-यां।
किसना अउ सलोना लड़े बर लागिन।
किसना: आजकाल मोर मेर हमेसा लड़ना चाहत हस, छोटे छोटे सींगमन मा अतका गुमान? वाह रे लड़ोइया।
सलोना दू घ मुंड़ी मा मार के जसोदा के लुगरा मा लुका जाथे।
सलोना: उं-यां-यां।
किसना: हारा हारा!
जसोदा: सलोना रिसागे हवय बेचारा!
बड़ लाड़ ले सलोना ला चुमकार के हॉंसिस।
जसोदा: बड़ आय हावस, एकर मुंहू धोवोइया, गंगा जमुना के माटी ले, ए-हे, गोरस नी पीये
एकर दाई के अउ पूतना रक्छसिन के बेटा मन केसर ले मुंहू धोवत रिहिन ? मुंहू हर गंधात हवय! मुंहू मा मुंहू जोर के सूतथस रतिहा भर ता बन जाथे।
किसना आपन बंसरी के बेधा ला देखे बर लागिस, जसोदा दवा कूट डारे रिहिस, उठे के पहिली किहिस।
जसोदा: देख देख सलोना मोर कान मा का कहत हावय धीरे धीरे सुने तैंहर? कहत हावय मैंहर तो नंदी बाबा हावों, किसना आपन काली कमरी कोपीन कछनी लंगोटी अउ पीताम्बरी आपन तीर राखे। इहॉं कोन्हों ला लाज नी आय जाय।
किसना लजा गिस, जसोदा मोहाके किसना के रूप ला एकटक देखत हावय। पीढ़ा ले उठत किसना किहिस।
किसना: काल ले कोठा मा गेरवां मा बांध दिंहा।
जसोदा: अउ दिन भर इहॉं उहॉं सलोना उं-यां-यां करत रिहि।
किसना: ता का करों? बन मा कभू चैन ले रइथे इहॉं, झाड़ी झुरमुटमन मा दिन भर कोन ढूढ़त फिरय, एती खेदबे ता ओती जाके जमुना मा कूदे बर तियार, जानत हस दाई, जमुना के कछार मा ठाढ़ होके अजरज देखत रइथे, फेर आपन छांय ला देख के भड़कथे, भाग आथे।
जसोदा: ओकर का कसूर? संग दोख–।
बाहिर ले मनसुखा नरिया के कइथे।
मनसुखा: तोर गाय आइस ओ रे किसना।
किसना कूदके बाहिर आइस।
मनसुखा: बलदाउ मौसी के घर गिस आवय।
किसना उदास हो गिस, दाउ घलो आज नीए।
गायमन रंभात आइन, फेर किसन ला सूंघ सूंघ के चुप हो गिन, सलोना के ढेंटू के घंटी बाजत हवय, टिनिंग टिनिंग। राधा, ललिता, जेठा, अनुराधा गुमसुम किसना ला देखके लहंुटगिन।
राधा, ललिता, जेठा, अनुराधा: सांवरिया ला आज डांट परे हावय, छन मा सारा गांव उदास हो गिस।
सूत्रधार: नंद जसोदा के इ लाडला ला बिरज के एकेक झन आपन दे नांव ले बुलाथे, करिया, बिलवा, सांवरिया, मोहन, कन्हैया, गोपाल, केसव, मुरारी, चोर, छिछोर, बटमार, बनमाली, हरि—। हरि के हजार नांव।

दिरिस्य: 4
मनसुखा की दाई लाठी टेकत आथे- ओ बांके! बांकेबिहारी-ई-ई!
किसना: इसारा करत बताथे- आज इहॉं सबो के सिर मा दांत मा दाढ़ा मा आंखि मा कान मा दरद हवय। दरद।
मनसुखा के दाई: दरद नीही गरग! वे बूढ़वा पंडित फेर आय रिहिस आज। मैंहर मंझनिया आय रेंहे ता सबो फुसुर फुसुर गोठियात रिहिन। यों तो कान ले कम सुनथों, फेर पीठ पाछू बांके के नाम ले कोन्हों अउ मैंहर नी सुनिहा भला! वो गरग पंडित कहत रिहिस कतको घलो लाड़ मया करा किसना काकरो नी होय। काकरो नी होय।
किसना: कान के तीर मा- अउ का का कहत रिहिस?
मनसुखा के दाई: अउ ना जाने का का इरिंग विरिंग बतात रिहिस ओ भिथि के ओधा मा। सो घलो इ कान ले का समझों, इकरे सेती कइथों कोन्हों दवा दारू हे, इ कान के हे तोर करा। काबर सबो कइथे बांके बैइद घलो हावय, बने बात, दवा नी सही, तैंहर मोर कान के तीर मा फुसफुसा के कछु कह। या फेर वो गरग पंडित के बात हर ठीक हावय।
किसना ने मनसुखा के दाई के कान के तीर बंसरी राख फूंक दिस- सी-ई-ई-ई!
मनसुखा की दाई: हॉं रे बांके! इ कान ले कुछू कुछू सफ्फा सुनात हवय, कोनहों दिन अहू कान मा घलो।
जसोदा बाहिर आइस ता मनसुखा के दाई हर किसना ला कनखी ले समझाइस- गरग के बात पूछत मोर नांव झन लेबे।
बानी बदल के कइथे- मोर मनसुखा इसने नी रिहिस बांके, तोर संग रहके मोर मनसुखा घलो चैपट हो गिस। कन्हों ला खीख लागे या बने मनसुखा के दाई चापलुसी नी करय। जे अपन दाई ददा के नी होईस वोहर काकरो नी होय।
जसोदा: का बके बर आय हस संझा के बेरा?
मनसुखा के दाई: हॉं हॉं मैंहर बकथों।
नंदराजा: मनसुखा की दाई-ई-ई।
मनसुखा के दाई लाठी टेकत चल देथे।
जसोदा: तैंहर दाउ बर बैठे हस इहॉं अउ दाउ उहॉं मौसी के आंखि मा जाके समा गिस हावय। चल कुछू खा ले मोहना!
किसना: ना ना ना।
सलोना: उं-यां-यां।
जसोदा: कुंवर चल आभी आभी दही बना के राखे हवौं मैंहर।
किसना: गरग पंडित मेर काबर नी भेज दे गघरी भर?
जसोदा: आ बेचारा बाम्हन!
किसनाः सबो बेचारा हावें, एक मैंहर हवौं अवारा, मोर कोन्हो विसवास नीए।
जसोदाः कोन कहत हावय?
सलोना हर किसना ला एक मुड़ी मारथे।




दिरिस्यः 5
रात मा उठके किसना कहत हावय।
किसना: दाई का होइस? रोवत काबर हस? मुंड़ी मा दरद हवय जादा? ला लगर दिंहा।
जसोदा: कलाई ला धर के- ना ना मैंहर रोवत नी ओं। सपना देखत रेंहे, तैंहर सूत जा। आ।
धक धक धक धक किसना आपन दाई के धड़कन ला सफ्फा सुनत हावय, सांसमन के तरी उपर ला देखत हावय, दरद बड़ गहियर बाजत हावय, कोख के पीला बर दाई के मन नी तरसही, नी रोही, ता का सिरतो किसना के आपन कोन्हों नीए।

दिरिस्य: 6
ठान: गोकुल के गली
योगमाया: कोनहों बताहा मोला, नंदमहर के हवेली ला कोन कोती जाहॉं?
राधा: अरी काहॉं के गोरी आय हावस, गुमान ला भरके, अतकी जाबी छोकरी के बोली सुना, कइसने बीख भरे हावय, कोनहो इसने रस्दा घाट पूछत हावय भला। आपन नांव गांव नी बतात हावय।
ललिता: इसने टेड़गी बात काबर करत हस रे, तोर संग कोन्हों मरद नीए?
योगमाया: ना भइया, देखत हवौं, इहॉं के मनखे मन तन के नीही मन के घलो करिया हावें। कइसने हावय गोकुल गांव रे भइया?
जेठा आथे
जेठा: सुनत हावो एकर बोली, का हावय? काबर इहॉं भीड़ करे हावा?
योगमाया: हां-ए! तुमन आपन बहु बेटी मनला इ कइसने सीख दे हावा कि कोन्हों भुलाय भटकके परदेसिन मनला रस्दा घलो नी बताय कोन्हों? नंदराजा के डेहरी कती हावय।
जेठा: अउ तैंहर कोन राजा के बेटी हावस, कि परदेस मा आके टेड़गी मेड़गी गोठियात फिरत हावस, आपन नांव गांव काबर नी बतात हस?
योगमाया: मैंहर मथुरा ले आत हावौं, बसुदेव राजा के बेटी अउ महाराजा कंस के भांची हावों।
राधा, ललिता, जेठा, अनुराधा सबो चिंचयाइन- भांची कंस की-ई-ई।
योगमाया: काबर?
अनुराधा: येहर कंस के भेजे कोन्हों डाकिनी हावय रे! कंस की भांची।
राधा: कोन्हो बलावा यदुराई ला, कूदा मुरारी-ई-ई-ई।
योगमाया: एकेझन काबर जमोझन मिल के बलावा। कहूँ सूतिस होही?
योगमाया गठरी राख के बइठ गिस – देखत हवौं, वो छोकरा ठीक कहत रिहिस।
जेठा: कोन छोकरा? सुन रे ललिता, आप कोन छोकरा के बात कहत हावय?
योगमाया: वो करिया कलूटा, घटवार के बेटा होही।
ललिता: करिया कलूटा? घाट के इ पार या ओ पार?
योगमाया: घाट के ओ पार के मन करिया नी होंय अउ भैंसिन साही कोन्हों जानवर पोसे, डोंगा लेके कूदत आइस मोर तीर। मैंहर काबर ओकर डोंगा मा पांय रखिहा, जमुना पार करे बर डांेगा के का काम? हां हां मैंहर रेंग के नदी पार करके आय हावों, पूछिहा आपन घटवार
के बेटा ले।
राधा: ता ओ लइका ह का किहिस?
योगमाया: का किही भला? कुछू मिनमिना के किहिस, मैंहर सुना दें मैंहर कंस के भांची हावों। रस्दा घाट मा छोकरी मनला छेड़ोइया मन के सूरत देख के जान लेथें मथुरा के छोकरीमन। हॉं-आं।
ललिता: आभी तैंहर बताय ना, ठीक कहत रिहिस ओहर, का किहिस ओहर?
योगमाया: ओ-हो! वोहर तुंहर गांव के छोकरीमन के चाल-चरित्तर के बारे मा कहत रिहिस, गोकुल गांव मा जरा होसियारी ले जाहा, उहॉं दूझन इसने चोट्टी हावें, बात बात मा झगरा करके आंखि के आघू ले माल गायब कर देथे।
जेठा: चोट्टी? नांव बताय रिहिस काकरो?
योगमाया: का नांव भला? हॉं बिरिसभानु के बेटी अउ ओकर सखी दूसर।
जेठा अउ अनुराधा: राधा अउ ललिता।
राधा अउ ललिताः सुनत हन।
जेठा अउ अनुराधा: येहर लबारी मारत हावय, किसना इसने बात कभू नी करे। अच्छा ओहर आपन नांव घलो बताइस?
योगमाया: हॉं! बताइस, किहिस मोर नांव बंसरीवाला हावय, मोला आपन बंसरी बजाके रोकना चाहत रिहिस, जइसने मैंहर ओकर पीं-पीं-रीं-रीं सुने बर गोकुल आय हावों।
योगमाया गठरी बोहके चलत चलत कइथे- कहत रिहिस बेचारा बंसरीवाला के बंसरी ला कतका घ इसने चोराय रिहिन।
सबो चुप हावय, राधा अउ ललिता के आंखि मा आंसू निकलत हावय।
मनसुखा के दाई: अरी ओ छोकरी! तोर गठरी मा का हावय, कोनहो जरी बूटी राखथस कान के? काहां जाबे? नंदमहर के हवेली? चल मैंहर ले चलत हावौं।
दुनों चल देंथे।
जेठा: जाके किसना मेर पूछी काबर इसने छिछोर बात करथे। इ बार जो किही ओ लबरा ला।
सबो आपन आपन बेंटरी अउ गघरी लेके चलिन घाट कोति।




दिरिस्य: 7
जसोदा ला योगमाया दाई कहके पांय परथे, जसोदा ठगाय ठाढ़े हावय।
योगमाया: दाई री! आपन बेटी ला नी चीन्हत हस। आपन कोख के बेटी ला नी चीन्हत हस। मैंहर हवौं योगमाया।
जसोदा: योगमाया ? काहां ले आय हावस?
योगमाया: काबर? मथुरा ले, ओ मैंहर समझ गे दाई, झूठमूठ बात उढ़ियात उढ़ियात इहॉं घलो आ गिस हावय, कोनहों किहिन होही अगास मा उढ़िया गिस, कोनहों किहिन होही कंस हर मार दिस, मैंहर जानत हवौं, मथुरा मा एकझन पंडित हावय गरग, वोहर ऐती आथे का? ओकर परतीत झन करे कभू। मोर हाथ ला देख के का का कह दिस दाई करा। ओ दिन ले दाई मोला।
जसोदा के ढेंटू मा हाथ डालके- दाई तैंइहर मोर दाई हावस, होस ना, बोल ना।
जसोदा – ——।
राधा बाहिर ले नरियात हावय- कंस के भांची आय हावय, होसियार रिहा, कंस हर भेजे हावय।
जसोदा: तोला कंस हर भेजे हावय, बता कोन हस तैंहर राक्छसीन?
योगमाया: ओ दाई! तैंहर दूसर के बात ला सच अउ आपन बेटी के बात ला लबारी समझत हस, कंस के भांचा तुंहर घर मा पलत हवय, ओकर बर अतका दरद, न जाने कोन घरी मा मोर जनम होइस कि जनम ले आज तक सबो दुरदुरात हावें।
योगमाया रोवत हावय, नंदराजा आथे।
नंदराजा: गोपाल के दाई।
योगमाया: चैंकके- बाबा चीन्हत हस मैंहर कोन हवौं, तैंहर झन बताबे दाई।
जसोदा: सरकी बिछात- कहत हवै मैंहर योगमाया हवौं।
योगमाया: योगमाया नीही, बिंधबासिनी घलो, मथुरा के दाई मोला बिंधा कहके बोलाय।
योगमाया नंद के कोरा मा बइठ गिस, नंद हर आप मुंहू ओकर लंग कर दिस।
जसोदा: कइसने कइसने अजगुत बात बोलत हावय, येहर कइथे, जतकी बात फैलिस हावय सब लबारी हावय।
योगमाया नंद के मन ला थाह डारिस, नंद के दाढ़ी ला छुअत छुअत किहिस।
योगमाया: एकठन बात पहिली कह दों, मैंहर मथुरा ले भाग के आय हावों, देवकी बसुदेव के घर मा आप पांय नी रखों आप, बाबा। रोवत- बाबा गरग जोतसी अउ नारद के बात सुन सुन
के मथुरा के दाई मोला रोज कोसथें। मथुरा के बाबा तो आप बेटी कहके घलो नी बलाय, कहत हावय काकर बेटी, बेटी नीही टेटी। काहां ले आ गिस।
नंदराजा: काहां ले आगिस, मोर सो भेंट होही ता पूछिंहा।
जसोदा: आखिर काबर कब ले इसने बिहवार करत हवय ओमन?
योगमाया नंदराजा के ढेटूं के कंठी गने बर लागिस।
नंदराजा: तैंहर काबर इकर लंग आंखि बटेरत हस, का कहत हे जरा सूझे के कोसिस कर ठंडे दिल ले। हॉं कह बेटी, गरग पंडित हर जरूर कुछू किहिस होही?
योगमाया: सिरिफ कुछू, अतकी बात, इ छोकरी के खातिर भीख मांगे बा परही, फूहड़ दाई ददा के बेटी जरूर जग मा हंसाई करवाही। सोन जइसने लइका के बदला मा माटी के पुतरी।
नंदराजा: सुनत हस हामन फूहड़ हन।
योगमाया: आप बात बात मा ठोना देंथे, दही बेचे जाबे ओ छेनावाली, एक दिन किहिस मोर बेटा ले चरवाही करवाथें, तोर ले बगीचा के जोगवारी नी होय, दाई मैंहर भाग आय।
योगमाया जशोदा के ढेंटू मा लपट गिस। जसोदा ओकर पीठ मा हाथ फेरत किहिस।
जसोदा: बने करे बेटी।
योगमाया: दाई मोला वापिस झन भेजबे।
नंदराजा: कभू नीही, आय तो कोन्हों, आप बइठे का करत हस गोपाल के दाई, हाथ धोवाके बेटी ला कलेवा दे। न जाने कब ले भूखी पियासी हावय।
नंदराजा बाहिर गिस, जसोदा योगमाया ला पाके भीतरी गिस।
योगमाया: एकठन बात कहों दाई, किसना ला मथुरा वापिस भेज दे।
जसोदा के करेजा धड़क गिस, हाथ ढिल्ला होगिस, योगमाया गिर गिस।
योगमाया: दाई-ई-ई।
जसोदा: इसने बात फेर झन कइबे बेटी।
जसोदा योगमाया का पांय छुए बर लागिस।
योगमाया: फेंके ला एक घ नीही दस घ फेंका कोरा ले। फेर आपन कुंवर कन्हाई ला एक पल बर घलो मन ले दूरिहा नी करस काबरकी?
जसोदा: सुन बेटी, तैंहर कुंवर ला देखे नी अस, एक घ देख लेबे, ता कुछू कहिबे, ओला
कइसे दूरिहा कर सकत हन, चल उठ, आ जा कोरा मा।
योगमाया: राख आपन कोरा, ये कोरा तोर किसना बर हावय, मैंहर पूछत हवौं कभू किसना ला कभू इसने कोरा ले फेंके हावस।
जसोेदा: —-।
योगमाया: मैंहर काबर देखिहां किसना ला, इहॉं किसना के राज, उहॉं किसना के राजधानी, उहॉं घलो किसना के हजार नांव सुनत रहेंव, इहॉं सबो बिरज किसनमय हावय, वाह रे भाग! रंग पंड़रा नी होइस, नीही ता, आप मोर देंहे के रंग के बात ले लेवा, मैंहर पंड़री हावों, मोर दाई ददा पंड़री पंड़रा हावय, मोर का कसूर? मोर पड़री के सेती मोला उहॉं धंवरी गाय कइथे सबो। रहय इहॉं किसना हर। मैंहर तो फेंके होय हों, मरी होय हों, अगास मा उढ़ियाय हवौं, जेहर उढ़ियात आइस अउ जुरगिस हावय ओकर पांय के पूजा होथे अउ आपन देंहे के संतान ला ठुकराय जाथे।
जसोदा: योगमाया बेटी पहिली कुछू जलपान कर ले।
योगमाया: काकरो जूठा माखन मिसरी मैंहर नी खावों, इहॉं सुनत हवौं, बिना किसना के जुठाए कोनहो कुछू सूंघे नीही। कइसे खीख आदत हावय।
जसोदा: मनेमन सोचथे। सिरतो कुछू घलो तो जूठा नी होय किसना के खातिर, सबो गांव मन काकरो घर के गोरस जूठा हो, इसने आसा नीही।
बाहिर मा गोपीमन नरियात हावय।
योगमाया: मोर चिन्ता झन कर दाई, किसना के घर लहुंटे के बेरा होगिस हावय, ओकर बर कलेवा तियार कर, मैंहर आपन बर खिचड़ी रांध डारिहॉं। उहॉं घलो इच मिलत रिहिस, सिरिफ नांव दूसर रिहिस, खिचड़ी नीही खेचरान्न।
योगमाया डेहरी के तीर ठाढ़ होगिस, गोपीमन अचानक ठाढ़ होगिस।
योगमाया: इस तरह मुंड़ मा उठात काबर आत हावा, का होइस? इ धरती रिहि कि बूड़ही?
राधा: का री, कंस की भांची, काहॉं हावय बंसरीवाला।
योगमाया: अहा-हा! हाय री बंसरीवाला, वाली रे ! दरद देखा तो, दाई ले जादा दरद मौसी ला। पूछत हवौं, कोन ला पूछ के संझा के बेरा पूछ के आय हावा? इहॉं कोन्हों मंडिर नी होय, जिहॉं रोज दीया बाती अउ आरती के पाछू मिठाई बंटही। इस घर के छोकरा के भविस्य ला हंस के पांख साही उज्जर कर दे हावा तुमन। का समझ ले हावा इ घर मा धीया बेटा नीए।
जसोदा कूद के आथे- का होइस?
ललिता: कि किसना कनहों लंग नीए, ना जमुना के तीर, ना कदंब तरी, ना बिरन्दावन मा।
घाट बाट मा कन्हों लंग नीए। सबो खोजत हवें, बलदउ किहिस हवे, नंदबाबा काहां हावें।
राधा: अउ ए कंस के भांची इहॉं काबर आय हावय, जब ले आय हावय, गांव मा कौंआ नरियात हावय।
जसोदा जोर ले रोना कहत रइथे फेर चुप हो जाथे। ——–।
राधा: योगमाया मेर लिपट के- बता रे सखी, तैंहर बंसरीवाला ला काहॉं देखे रेहे।
योगमाया दूरिहा भाग जाथे।
योगमाया: ए-हे! एला मिरगी उरगी तो नी आय, इसने थरथर काबर कांपत हावय।
नंदराजा आथें।
सबोझन: बाबा! किसना नी मिलत हवय। दाउ केंहे हें बाबा ला जलदी भेजा।
नंदराजा चल देंथे।
योगमाया: बाबा।
जसोदा: पाछू ले झन बला।
योगमाया: अतकी अधीर होय के का बात हावय, आभी संझा परे हावय, सुनत हवौं, लुकौवल ओहर रोज खेलत हवे। ये घलो हो सकत हवे, इहॉं आके सबले जादा रोवत हे ओकरे घर मा लुकाय होही। इ छोकरी मनला लुकौवल खेले के कइसने खीख आदत हवे।
मनसुखा आपन संगी के संग मा निकलथे – चला चला।
राधा घलो आपन गिंया मन के संग मा निकलथे – चला चला खोजी खोजी।
सबो डंडा मसाल लेके खोजत हवें। योगमाया खिचड़ी बनात हावय, जसोदा जाय बर होथे, ता योगमाया टोंकथे।
योगमाया: तैंहर काहॉं जात हावस इ अंधियारी मा एकेझिन, बस खिचड़ी चूरे मा जतका देरी लागही, खा पी के चल दिंहा दाई री। एकर ले तो देवकी दाई बढ़िया, कभू भूख भूख कहके रोय नीओं मैंहर। मैंहर भूख ला नी सहे सकों।
बाहिर किसना को हजार नांव ले सबो नरियात हावें, योगमाया खिचड़ी उतार के परोसे बर बइठिस।
योगमाया: कोन्हों बरतन भाड़ा घलो नीए, मैंहर पूछत हवौं इ घर मा बरतन भाड़ा मन घलो किसना ला खोजे बर चलदिन हे का। खा पी के चल दिंहा दाई ओ।
जसोदा पथरा के मूरती साही ठाढ़े हावय, योगमाया कराही ला पटकथे, ता होस आथे।
योगमाया: कराही मा खांव का?
जसोदा: आघू मा पथरोटा हवय बेटी।
योगमाया: ओमा कुंवर कनहाई के नांव लिखे हावय।
बाहिर मा सबो किसना के हजार नांव ल नरियात हावें, योगमाया जोर जोर ले रोथे।
योगमाया: अरी दाई! मैंहर भूख ले बिलबिलात हवौं, मोर अंगठी जर गिस खिचड़ी मा।
जोर जोर ले रोथे, ओकर रोवाई मा अगास पताल एक हो जाथे।
जसोदा: रो झन बेटी।
बड़ देरी ले कोरा मा मया करथे।
योगमाया: दू मा एक ला जाय बर लागही मन ले, किसना ला या फेर योगमाया ला।
जसोदा कछू बेरा बर किसना ला भुला गिस, खिचड़ी परोस के खवाय बर बैठिस।
योगमाया: उहॉं देवकी दाई ला खवाय बिना मुंहू मा कौरा नी डारत रेंहे। खा ना दाई।
जसोदा के होंठ के तीर मा कौंरा गिस किसना के सूरता आगिस। किसना भूखाय होही। भूखा किसना के दाई मुंहू मा कौरा डारही कइसे।




दिरिस्य: 8
जसोदा योगमाया ला सुतात हवय।
योगमाया: जेती किसना सूतय ओती नी सूतंव, गोरसाइन गंधाय हर मोला बने नी लागे, अउ एकेझिन नी सूतंव, आदत नीए, दाई के गोड़ लगरे बिना मोला नींद नी आय।
योगमाया सूत जाथे।
जसोदा: सोचत हावय- जे कहा, देवकी दाई हर एला बने सीख दीस हावय, बेटी के बिना घर के हालत कइसे होथे, येला मैंहर पहिली बार आंखि ले देखत हवौं, आप वोहर आपन दाई के हाथ पांव हलाय नी दिही, बेटी हर दाई के सेवा कर सकत हावय सचमन ले, बिना बेटी के दाई के दुरदसा ओहर देखत हावय, सिरतो योगमाया हर ओला लगर के इसने सुता दिस दू पहर रतिहा के पाछू नींद खुलिस।
योगमाया: सपना मा बड़बड़ात हावय- हॉं हॉं वो आपन दाई देवकी के छाती मा सट के सूतित होही पलंग मा। तैंहर काबर?
जसोदा: कुंवर कन्हाई ओ ओ।
योगमाया: जागथे- दाई बस दू घंटा के बात हावय, अउ दू घंटा आपन तीर सूतन दे, जे
मैंहर इसने जानथें, ता खा पी के संझा के चल देंथे।
योगमाया आपन बांहा मा हाथ समारथ कइथे- तोर किसना के देंहे के रंग झरथे का? देख तो कइसने करिया करिया धब्बा पर गिस हावय।
जसोदा देखत हावय, सलोना सूंघत आथे अउ पलंग के तीर ठाढ़ हो जाथे। योगमाया के बांहा ला चाटे बर जीभ निकालथे।
योगमाया: दाई के छाती मा संटके- गाय बछरू ला बड़ डराथों।
योगमाया के बांहा ला सलोना जीभ मा फेर चाटथे।
योगमाया: दाई ओ।
जसोदा: चल भाग।
सलोना नी भागे अउ पीताम्बरी ला चाबे बर लागथे।
योगमाया: गिस गिस मोर पीताम्बरी के कलेवा।
योगमाया पलंग ले कूद परिस, ओकर चुनरी गोड़ा ले संटाके छूट गिस, चूंदी सबो छिछरागिस।
सलोना: उं-यां-यां।
जसोदा: चोर किसना, योगमाया, बिंधा, लीलाधर।
गायमन नरियाइन, जै-हो, जै-हो। बां-आं-य। सबो सुनिन किसना लहुंट के आगिस हे। राधा अउ ललिता देखत हावें, सलोना चाट चाट के किसना के समरई ला सफ्फा करत हावय।
जसोदा: दाई ले घलो छल छलिया।
राधा अउ ललिता – देखंव सखी रोज लीला—– हरि हरि बोल।
जसोदा घलोक गाय बर लागिस, जसोदा देखत हावय, जे किसना, वो राधा, वो अनुराधा, वहीच सलोना, खुद जसोदा घलोक किसना। सबो आके गात हावें।
किसना किसना किसना किसना कह जसोदा दाई किसन के कथा।
किसना चोर साही आंखि तरी करके चोर साही ठाढ़े हावय, गठरी मा हावय राधा के रेसमी चुनरी, ललिता के कंगन, जेठा के बाजूबंद, अनुराधा के सांटी।
सलोना सबो के चारों ओर गुल्ला घूमत हावय- टिनिंग-टिनिंग-उं-यां-यां।
(फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी नित्य लीला से)

एकांकी रूपांतरण- सीताराम पटेल सीतेश