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अनुवाद किताब कोठी

गांधीजी के बानी दैनिन्दिन सोंच बिचार

(छत्तीसगढी राजभासा में )

पूर्व कुलपति आचार्य डॉ. हर्षवर्धन तिवारी, रचयिता
मुख्य न्यासी, श्री रामसत्य लोकहित ट्रस्ट
ज्ञान परिसर, पो. रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर छत्तीसगढ
मो. 9977304050

प्रकाशक
श्री राम सत्य लोकहित ट्रस्ट
ज्ञान परिसर
पो. रविशंकर विश्व विद्यालय
रायपुर छ.ग.
मो. 9977304050

मुद्रक
महावीर प्रेस
गीतानगर, चौबे कालोनी, रायपुर

मूल्य : मात्र 240 रुपये




समर्पण
मोर पिताजी महात्मा गांधी के बिचार औ जिंदगानी से बहुत लगाव रहिस। ओकर जीवन के आदर्श ल ओहा पालन करत रहिस, जीवन भर, औ ओकर जीवन दर्शन के अनुकरन करिन। सोंच बिचार, रहे, सहे मा ओकर पालन करैं। एकरे सेती मैं लइकई ले गांधी जी के जीवन से प्रेरना लेत रहें।

1 जनवरी
भगवान ह सबों जघा व्याप्त विचित्र सक्ति ये जौन ह अवरणनिय हे। वो सबो जघा व्याप्त सक्ति ल मैं भले देखे नई सकंव फेर, मोला आभास होथे । ये महा सक्ति देखे नई जाय जौन सब ला अपन अभास करा देथे, फेर ओकर प्रमान नई खोजे जा सकय, काबर के वो ह सबले उपर हे, जे ला हमन अपन इन्द्री ले जान थन। वो इंद्री गियान ले उपर हे। फेर हम भगवान के होवई ल थोड बहुत जान सकत हन।

2 जनवरी
मोला ऐसे तो लागथे के मोर चारों कोईत सबो बदलत हे, समाप्त होत हे, फेर ओकरो उपर वो जीवन्त सकती हे, जौन सब ल सकेले हे जौन कभू नई बदलत हे, जौन निर्माता ये, सबो के घोलैय्या ये, पुनर निर्माता ये, ऐसना वो सक्ति, ऐसन निर्माता सूक्ष्म तत्व ह ईश्वर ये, भगवान ये । फेर काबर के जौन मैं नई देखे सकंव अपन इंद्रिय जगत ले, जौन होही, औ जौन हो सकत हे, वो भगवान ये।