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गोठ बात

हंडा पाय हे किथे सिरतोन ये ते लबारी

समझ नई परय काकर गोठ सिरतोन ये काकर ह लबारी, कोनों करते चारी, कोनों बड़ई त कोनों बघारथे सेखी अऊ हुसयारी। सियनहा मन ह गाँव के गुड़ी म चऊपाल जमाय रिहिस हे, मेंहा भिलई ले गाँव गेहव त ओकरे मन करा पायलगी करे बर चल देयेव। ओमेर शुकलाल, रामरतन, मनीराम अऊ किसन सियनहा बड़े ददा मन ह हाल चाल पूछिस मोर, मेंहा केहेव सब बने बने हे बड़े ददा, तुही मन सुनावव ग गाँव गवई के गोठ ल केहेंव, तहाले रामरतन बड़ा ह का सुनावन मुन्ना तै जानथस ते नई जानत तोर घर सौन्जिया लगत रिहिस हे, पलटन के मितान तेन ह बड़ पैईसा वाला होगे हे। गाँव के सबो मनखे मन कहिथे हंडा पाय हे कईके, तहीं बता तोर सन ओकर उठना बईठना हे, तोला बहुत मानथे घलो सिरतोन ये ते लबारी आय। मेंहा केहेंव बड़े ददा कहाँ आज के समे म कोनों ल हंडा मिलही ग, सबो ह मिहनत अऊ करम के फल ताय। गौऊँटया मन के ल अधिया रेंघहा लेवत हे, खाय पीये बर जानय नहीं, दुच्छा चटनी बासी तको खा लेथे, काय तिहार बार तिहूँ ल तो नई जानय, चौकस कमईया मनखे ये सबो कोई, तेकरे सेती घर दुवार खेती खार ल बढा डरे हे।



अतका सुन के शुकलाल, रामरतन बड़ा ह केहे बर धर लिस तुमन शहर में रहिके काही नई जानव जी, पूरा गाँव जानथे हंडा पाय हे कहिके गोठीयावत बईठे रेहेंव ओतके बेर उही करा ले पलटन भैय्या ह बियारा जात रिहिस, मोला देखिस त बईठ के मोर सन लईका लोग के हाल पूछते रिहिस हे, ततका में शुकलाल बड़ा ह पलटन ल काहत हे तोर मितान ल हंडा मिले हे का रे पलटन, तहूं ल कुछ दे हाबय का, अतका गोठ ल सुनके पलटन ह बगियागे। एकरे सेती मुन्ना भाई येकर मन करा नई बैईठव, अनाप शनाप पूछथे रहिथे, पलटन केहे बर धर लिस मिहनत करथे तेन ह तुंहर आँखी म नई दिखय, कहाँ ले अतेक पैईसा पागे, अतेक कइसे पलपला गे, बईठे तहाँ ले खाली चारीच करई काम हे मुन्ना भाई येकर मन के। हहो पाय होही मिहनत करथे त मिहनत के हंडा पाय होही, अतका बोल के बईठागुंर मन के अऊ का काम कईके पलटन ह ओमेर ले रेंग देथे। साँझकुन के बात ये बिशेसर पहाटिया ह गाय दुहे बर चऊक करा ले नहाक के जात रिहिस हे, फेर मनीराम कका ह अपन पटेल रुतबा झाड़ के बिशेसर पहाटिया ल थोरकिन बईठ कईके बईठार लेथे, बिशेसर पहाटिया काहतें रिहिस हे ठाकुर पारा गाय दुहाय नईये ग, मंझन होही ते बछरु ल पिया दिही, ले फेर काबर बुलाय हौ काय बात ये पुछव कहिथे। ओतके में फट ले शुकलाल बड़ा ह किथे जेकर घर गाय दुहे बर जात हस तेला हंडा मिले हे का रे बिशेसर।
पहिली बाड़ी बछरू नई रिहिस हे दुए चार साल म अतेक पैईसा,गहनागुरिया कहाँ ले सकेल डरीच, बिशेसर पहाटिया किथे का जानव कका मोला गरवा चरई अऊ छेरी पठरु म समे नई मिलय ग अतका गुने बर। फेर का करना हे ककरो गर ल तो नई रेतत हे कका, भईगें मेंहा जात हाबव तुंहर चक्कर मेंतो ठाकुर मन के गारी सुने बर पड़ जहीं।



ले अब हमू मन बियारी करे बर जात हन कईके सियनहा मन मोला फेर आबे काय करबे घरों म असकट लागही एमेर समे कईसे कटथे पता नई चलय अतका गोठीयाके के सबो कोई चल देथे। एकेच घंटा बाद टहले असन फेर जाथव त देखथव बंशी नाऊ ह तेल लगाय बर बामहण पारा कोती जाय बर निकलत रिहिस हे, ओतके में किसन कका ह बंशी ल काहत राहय अतेक काय लऊहा हे बंशी तेलेच तो लगाबे, खंती थोड़े कोड़बे। बंशी ह हहो सिरतोन काहत हौ मंडल कईके बैईठ जथे, फेर शुरू हो जथे हंडा के गोठ ह, रामरतन बड़ा ह किथे कस रे बंशी हमर गाँव म कोनों ल हंडा मिले हे का। एक दू झन के नाव सुनाथे, गाँव के मनखे मन गोठियावत रहिथे, बंशी ह अतका सुनके केहे बर धर लेथे गाँव के मनखे मन काही नई जानय मेंहा तो सबो झिन के हाल जानथव। जेन पाय हे तेकरो किस्सा जानथव, बंशी ह केहे बर धर लिस कोनों ल झन बताहूँ कि बंशी ह बताय हे कहिके, सबो सियान एक सुर म केहे बर धर लिस तोर नाव काबर बताबो जी, बंशी अपन गोठ ल चालू करिस त मोला तो कोनों कहानी असन लागय। हंडा तो पाय हे ग येमे कोनों लबारी गोठ नोहय, पलटन के मितान के दाई ल रोज सपना आवय झब्बू मंडल के नरवा खार मा चकरी खेत के मेंड़ म बोईर पेड़ करा हंडा गड़े हाबय कईके जेमे सोनच सोनच भराय हे, फेर तुमन मोला खोद के निकालहूँ त तोर बड़े लईका के जीव ल लीहू कईके। सियनहीन ह सपनावय, थोरके दिन बाद सियनहीन ह अपन मंझला लड़का ल बता देथे, मंझला लड़का ह हूंम जग देके रातों रात कोड़ के अपनेच घर हंडा ल ले आथे अऊ एक ठन कुरिया म तारा लगा के अबड़ दिन तक रखे रहिथे।



अब हंडा के ढकना ल खोले कि हिम्मत नई हो़वत रिहिस त अपन बड़े भाई जेन अलग रहिथे तेंन ल रातों रात बुला के हूंम जग देवा के ढकना ल खोले बर किथे। ढकना खुलिस त ओमें सोना सोना के सिक्का भराय राहय, ओतका ल देखके ओकर बड़े भाई के आँखी चौन्धीयां जथे। अपन मंझला भाई ल गारी देवत मोला धोखा अऊ भुलवार के बलाय हस कहिके अपन घर चल देथे, पंद्रही असन समे गुजरथे तहाँले बड़े भाई के तबियत खराब हो जथे अऊ मोला एक दिन बताथे कि मोर मंझला भाई ह मोर संग दगा कर दिच तेकरे सेती उही दिन ले मोला बने नई लागत हे कईके। अऊ गुनत गुनत कुछ दिन मा बड़े भाई ओकर खतमें हो जथे, बंशी नाऊ काहत हे ये बात ल गाँव में महीं भर जानत हौ, काबर हंडा ह जीव माँगे रिहिस त बड़े भाई के जीव ल ओकरे सेती लिस हे। अऊ एक ठन बात हे मुन्धियार कुन चरोदा के सोनार ह झोला धरके रोज वोकर घर आथे हंडा के सिक्का ल भंजाय बर रोजे रोज खुसरथे, तभे तो वो सोनार ह तको बड़े आदमी बन गेहे। निचट गरीबहा रिहिस हे बिया ह, भईगे जादा काय बतावव कईके बंशी नाऊ ह तेल लगाय बर चल देथे। महूँ घर आ जथव महूँ ल काही नई सुझत रिहिस हे सिरतोन ये ते लबारी कईके सोचते सोचत सूत गेंव, बिहनिया बिहनिया शुकलाल बड़ा के भेंट दुबे महराज से तरिया म हो जथे।
शुकलाल बड़ा किथे दुबे जी तोला मालूम हाबय ते नईये पलटन के मितान ल हंडा मिले हे बंशी ह बतावत रिहिस हे। पक्का खबर ये कईके, दुबे महराज किथे अरे हौ शुकलाल मोला शंका तो रिहिस हे, दुए चारे साल म आदमी अतेक कईसे पनप जही कईके। बंशी ह तो लबारी नई गोठीयावय बिया ह, सबो गाँव के मनखे ल दिखत हे। बनी भूति अऊ सौंजियाँ लगय तेन आदमी करा आज घर दुवार, मोटर गाड़ी खेत खार होगे। कहाँ ले आईस होही हंडा जरूर पाय हे। चल ठीक हे शुकलाल काली जुवर थाना चलबो रिपोट लिखाबो हमर गाँव में पलटन के मितान घर हंडा हे कईके। सबो घुसर जही दरोगा के डंडा परही त खुदे बकरही साले ह, मेंहा सोचत हौ, समझ नई परत ये लबारी गोठ ये कि सिरतोन, बाते बात में मामला ह काली दरोगा मेर पहुँच जही। बंशी नाऊ के सेखी मरई ह पलटन के मितान बर अड़चन पैईदा कर दिही तईसे लागत हे।

विजेंद्र वर्मा अनजान
नगरगाँव (धरसीवां)
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