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कविता

जय छत्तीसगढ़ महतारी

मोर छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा मा ।
बसे जम्मो परानी हे।।
दाई बबा सुनाए रीहिस।
मोला येखर कहानी हे।।

तोर भुइया म वो दाई ।
खेत खार लहरावत हे।।
तभे तो दाई ये भुइया ह दाई।
धान कटोरा कहावत हे।।

महतारी के कोरा बरोबर ।
सब मनखे ल राखे हस।।
सबो परानी सेवा करे तोर ।
दया मया ल राखे हस।।

छत्तीसगढ़ के माटी ल दाई।
चंदन माथ मै लगाथव वो।।
जय छत्तीसगढ़ महतारी।
तोर चरण म माथ नवावत हाव।।

छत्तीस हावय तो गड़ वो दाई।
छत्तीस भोग लगवाव वो।।
मोर छत्तीसगढ़हीन दाई।
तोर सेवा ल बजावाव वो।।

मोर छत्तीसगढ़ के बोली भाखा।
गुरतुर रस मलाई हे।।
सोसन करईया परदेशीया मन के।
जल्दी करबो बिदाई हे।।

युवराज वर्मा
ग्राम बरगड़ा (साजा)
जिला बेमेतरा(छत्तीसगढ़)
मो.9131340315
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